जर्मन नेवी चीफ अचिम शॉनबैक भारत के दौरे पर, तीनों सेना प्रमुखों से मिले

 आपसी हित के मुद्दों, द्विपक्षीय संबंधों और रक्षा सहयोग के पहलुओं पर चर्चा हुई

– जर्मनी का युद्धपोत पहुंचा मुंबई, जर्मन राजदूत ने की मुक्त समुद्री मार्ग की वकालत

नई दिल्ली, 21 जनवरी (हि.स.)। जर्मन नौसेना के प्रमुख वाइस एडमिरल अचिम शॉनबैक इस समय भारत की यात्रा पर हैं। उन्होंने नई दिल्ली में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार से मुलाकात करके दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग को और मजबूत करने के साथ ही इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। वायुसेना प्रमुख और उप थल सेनाध्यक्ष से भी मुलाक़ात में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के पहलुओं पर चर्चा हुई। इस बीच शुक्रवार को जर्मनी का युद्धपोत बायर्न एफ-217 मुंबई तट पर पहुंचा जहां जर्मन राजदूत ने मुक्त समुद्री मार्ग की वकालत करते हुए प्रशांत क्षेत्र में शांति को जरूरी कदम बताया।

जर्मन नौसेना के प्रमुख वाइस एडमिरल अचिम शॉनबैक गुरुवार को भारत के दौरे पर दिल्ली पहुंचे। साउथ ब्लॉक लॉन में उनका प्रभावशाली गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत किया गया। इसके बाद वाइस एडमिरल शॉनबैक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक गए और बहादुरों को पुष्पांजलि अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। उन्होंने नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार से मुलाकात करके दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग को और मजबूत करने के साथ ही इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने भारतीय वायु सेना मुख्यालय में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी से भी मुलाकात की, जहां दोनों पक्षों ने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की। उप थल सेनाध्यक्ष सीपी मोहंती से मुलाक़ात में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के पहलुओं पर चर्चा हुई।

जर्मन नौसेना का फ्रिगेट बायर्न एफ-217 आज मुंबई पहुंचा। भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर और महाराष्ट्र के प्रोटोकॉल, पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने युद्धपोत का स्वागत किया। इस मौके पर राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने कहा कि हमें मुक्त समुद्री मार्ग चाहिए। प्रशांत क्षेत्र में शांति जरूरी है। सभी 32 देशों को अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि कोरोना महामारी के बीच भारत ने इस जर्मन जहाज को यहां डॉक करना संभव बनाया। यह दो दोस्तों के बीच एक यात्रा है। अन्तरराष्ट्रीय व्यापार का 60 फीसदी हिस्सा प्रशांत क्षेत्र से होकर गुजरता है।

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