(अपडेट) अधिक क्षमता वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

नई दिल्ली, 20 जनवरी (हि.स.)। भारत में ही निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब पहले से भी कहीं अधिक मारक क्षमता वाली होगी। बढ़ी हुई क्षमता के साथ इस मिसाइल के नए संस्करण का परीक्षण गुरूवार की सुबह ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीमों के साथ ब्रह्मोस एयरोस्पेस के समन्वय में किये गए परीक्षण में मिसाइल ने अपनी अधिकतम सीमा के लिए सभी मिशन को पूरा किया। मिसाइल की यह परिक्षण उड़ान ब्रह्मोस कार्यक्रम को आगे बढ़ने में मील का पत्थर साबित होगी।

मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन, यानी कहीं से लॉन्च किया जा सकता है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है। उन्नत स्वदेशी तकनीकी से लैस इस मिसाइल ने परीक्षण के दौरान बढ़ी हुई दक्षता और बेहतर प्रदर्शन के लिए संशोधित प्रक्षेपवक्र का पालन किया। इस उड़ान परीक्षण की निगरानी पूर्वी तट पर तैनात टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम सहित रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन के सभी सेंसर और डाउन रेंज जहाजों से की गई। संशोधित नियंत्रण प्रणाली वाली मिसाइल को बेहतर क्षमता हासिल करने के लिए ठीक किया गया है।

रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से ब्रह्मोस मिसाइल विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। परीक्षण में डीआरडीओ और एनपीओएम की टीमों ने भाग लिया। ब्रह्मोस एयरोस्पेस, समुद्र और भूमि लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावशीलता और घातकता बढ़ाने के लिए शक्तिशाली, अत्यधिक बहुमुखी ब्रह्मोस मिसाइल को लगातार उन्नत कर रहा है। ब्रह्मोस एक शक्तिशाली मिसाइल हथियार प्रणाली है जिसे पहले ही भारतीय सेना एवं नौसेना में शामिल किया जा चुका है। अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली ब्रह्मोस ने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है।

इस महीने की शुरुआत में पश्चिमी तट से दूर भारतीय नौसेना के विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के समुद्री संस्करण का अधिकतम सीमा पर परीक्षण किया गया था और इसने पूरी सटीकता के साथ लक्ष्य जहाज को निशाना बनाया।बहु-भूमिका और बहु-मंच सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली ने समुद्र, जमीन के साथ-साथ हवाई लक्ष्यों के खिलाफ अपनी क्षमता साबित की है। इस प्रणाली को सुखोई-30 एमकेआई विमान, भारतीय नौसेना के विभिन्न जहाजों के साथ-साथ मोबाइल स्वायत्त लांचरों से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है। इसकी सटीकता और तीनों सेवाओं के साथ एकीकृत करने की क्षमता इसे देश की सबसे बहुमुखी हथियार प्रणालियों में से एक बनाती है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए ब्रह्मोस, डीआरडीओ टीमों और उद्योग जगत को बधाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने हथियार प्रणालियों की दक्षता को अधिकतम करने और स्वदेशी सामग्री पर अधिक ध्यान देने के लिए लगातार प्रयास करने के लिए वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सराहना की। ब्रह्मोस के महानिदेशक अतुल डी राणे ने परीक्षण में शामिल एनपीओएम, रूस और डीआरडीओ टीमों की संयुक्त टीमों को बधाई दी।

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