नई दिल्ली, 16 जनवरी (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान जीएसटी के एक विसंगति की ओर आकर्षित किया है। कैट का कहना है कि अनिवार्य जीएसटी नंबर छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स को अपनाने में बाधक है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” के दृष्टिकोण के विपरीत है। कारोबारी संगठन ने सीतारमण से जीएसटी काउंसिल से चर्चा कर इस विसंगति को तुरंत समाप्त किए जाने का आग्रह किया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने जारी एक बयान में कहा कि जीएसटी अधिनियम के तहत एक विक्रेता जो ई-कॉमर्स में उत्पाद बेचना चाहता है, उसे अनिवार्य रूप से जीएसटी नंबर प्राप्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि कोई विक्रेता जिसके पास जीएसटी नंबर नहीं है, उसे अपने उत्पाद को किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर बेचने की अनुमति नहीं है। जीएसटी अधिनियम का यह प्रावधान देशभर के लाखों व्यापारियों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स का उपयोग करने से रोक रहा है।
खंडेलवाल का कहना है कि एक ओर जहां पीएम मोदी के विजन के अनुसरण में कई मंत्रालय और राज्य सरकारें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक विक्रेताओं को लाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन जीएसटी नंबर के बिना विक्रेताओं को अनुमति नहीं देने का प्रावधान देश के लाखों व्यापारियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म यानी ई-कॉमर्स को अपनाने के लिए एक प्रमुख रोड़ा बन गया है। कैट महामंत्री ने कहा कि सरकार देश में छोटे खुदरा विक्रेताओं के सशक्तिकरण के बारे में बहुत कुछ करने का इरादा रखती है, लेकिन चूंकि इन छोटे खुदरा विक्रेताओं का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से कम है। इसलिए उन्हें जीएसटी पंजीकरण लेने से छूट दी गई है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की छोटे कारोबारियों को दी गई यह राहत एक दुःस्वप्न बन गई है। ख़ासतौर पर उन छोटे व्यापारियों के लिए जो डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाना चाहते हैं। खंडेलवाल ने कहा कि ऐसे में किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्ड करते समय जीएसटी नंबर की शर्त को हटाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि प्रमाणीकरण के उद्देश्य से आधार संख्या, बैंक खाता विवरण या इसी तरह के अन्य उपायों को ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग के लिए आवश्यक योग्यता के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है।
कैट महामंत्री ने आगे कहा कि न केवल व्यापारियों, बल्कि बड़ी संख्या में कारीगरों, शिल्पकारों, कुटीर और घरेलू उद्योगों, कलाकारों और अन्य समान वर्गों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खुद को शामिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो न केवल घरेलू बाजार बल्कि, निर्यात को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इसके लिए उन्हें अधिक मात्रा में भुगतना पड़ रहा है। इसको देखते हुए सरकार इस प्रावधान को हटाने का काम करे।