किसी भी विवाद का समाधान निकालने के लिए युद्ध या संघर्ष अंतिम उपाय
– अगर भविष्य में चीन सीमा पर कुछ भी थोपा जाएगा, तो हम ही विजयी होंगे
नई दिल्ली, 12 जनवरी (हि.स.)। भारत और चीन के बीच चल रही कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता के बीच थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एलएसी से आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटे हैं, लेकिन खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है।
सेना प्रमुख ने चीन सीमा पर स्थिति के बारे में कहा कि किसी भी विवाद का समाधान निकालने के लिए युद्ध या संघर्ष हमेशा अंतिम उपाय होता है। अगर इस आखिरी विकल्प का भी सहारा लिया गया, तो बहुत विश्वास के साथ आश्वस्त कर सकता हूं कि हम ही विजयी होंगे।
अपने कार्यकाल के आखिरी संवाददाता सम्मेलन में एमएम नरवणे ने सिलसिलेवार सेना की उपलब्धियों, थियेटर कमांड प्रक्रिया, आधुनिकीकरण की योजना, सेना में महिलाओं की भागीदारी, पाकिस्तान सीमा पर दुश्मन के छद्म युद्ध जैसे सवालों के बेबाकी से जवाब देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की। अपने 28 माह के कार्यकाल के महज चार माह बचने पर जनरल नरवणे ने कहा कि उनका अब तक का समय चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों से निपटने में बीता।
उन्होंने कहा कि बीते साल जनवरी से हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सकारात्मक विकास हुआ है। उत्तरी सीमाओं पर हमने ऑपरेशनल तैयारियों पर फोकस करने के साथ ही बातचीत के माध्यम से चीनी सेना (पीएलए) के साथ वार्ता भी जारी रखी है। अब तक हुईं 13 दौर की वार्ताओं के दौरान एलएसी के कई विवादित इलाकों में आपसी सहमति से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने की प्रक्रिया भी पूरी हुई है।
जनरल नरवणे ने आज मोल्डो में हो रही कोर कमांडर स्तर की 14वीं वार्ता के बारे पूछे जाने पर उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में हम इसमें प्रगति देखेंगे। उन्होंने साफ कहा कि एलएसी से आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटे हैं, लेकिन खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है। सेना प्रमुख ने भारत की उत्तरी सीमा पर स्थिति को लेकर कहा कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सुरक्षा कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने पूर्वी लद्दाख समेत पूरे नॉर्दर्न फ्रंट में फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हथियारों की क्षमता बढ़ाई है। उत्तरी सीमा पर पिछले डेढ़ साल में हमारी क्षमता कई तरह से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पहले विवादित क्षेत्रों से विस्थापन होना है, फिर हम डी-इंडक्शन और वापस जाने की बात कर सकते हैं।
पाकिस्तान सीमा के बारे में किये गए सवाल के जवाब में जनरल नरवणे ने स्वीकार किया कि पश्चिमी मोर्चे पर विभिन्न लॉन्च पैड में आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि हुई है और बार-बार नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ के प्रयास किए गए हैं। यह एक बार फिर हमारे पश्चिमी पड़ोसी के नापाक मंसूबों को उजागर करता है। नगालैंड में नागरिक हत्याओं की जांच की स्थिति पर सेना प्रमुख ने बताया कि सेना की जांच अंतिम चरण में है, रिपोर्ट एक या दो दिन में आनी चाहिए। देश का कानून सर्वोपरि है और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। हम ऑपरेशन के दौरान भी अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अरुणाचल प्रदेश में चीन के बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरों पर सेना प्रमुख बोले कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एलएसी अनिर्धारित है, इसलिए दोनों देशों में सीमा को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं कि सीमा वास्तव में कहां है। सीमा के मुद्दे अनसुलझे रहने तक इस तरह के मुद्दे सामने आते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अंतर खत्म करने के लिए इन समस्याओं का दीर्घकालीन समाधान खोजना है। हम अपनी सीमाओं के साथ अच्छी तरह से तैयार हैं और जरा भी संदेह नहीं करना चाहिए कि कोई भी अपनी मनमर्जी से सीमा की यथास्थिति बदल सकता है।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि चीन से बातचीत चल रही है और हमेशा उम्मीद है कि हम बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम होंगे। एलएसी को लेकर 01 जनवरी से लागू हुए चीन के नए कानून के बारे में जनरल नरवणे ने कहा कि हम पर वह कोई भी कानून जाहिर तौर पर लागू नहीं हो सकता जो कानूनी रूप से अमान्य और हमारे साथ अतीत में हुए समझौतों के अनुरूप न हो।