दिल्ली मेट्रो के मामले में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की नीयत साफ नहींः हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लुका-छिपी का खेल खेल रही है और उसकी नीयत साफ नहीं है। कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) के खिलाफ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक पैसे देने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने इस मामले में 29 मार्च को अगली सुनवाई क आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान दिल्ली मेट्रो की ओर से पेश वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि रिलायंस इंफ्रा दिल्ली मेट्रो के कर्ज को टेकओवर करने को लेकर बात कर रही है। उन्होंने कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का ये रुख पहले के रुख से उलट है, जिसमें केंद्र सरकार ने ऐसा ही ऑफर दिया था। पराग त्रिपाठी ने कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 30, 31 दिसंबर और 6 जनवरी को दिल्ली मेट्रो से इस संबंध में बात की थी।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से पेश वकील प्रतीक सेकसरिया ने कहा कि केंद्र सरकार कोर्ट को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने ही कोर्ट के बाहर बातचीत की पहल की थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो के प्रस्ताव को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ठुकरा दिया था। तब कोर्ट ने कहा कि जब रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कोर्ट के सामने आती है तो एक अलग रुख रहता है जबकि वो दिल्ली मेट्रो से कोर्ट के बाहर बात करती रहती है। लुका-छिपी का ऐसा खेल नहीं चलेगा।

डीएमआरसी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि विभिन्न बैंकों के खातों में छह हजार, 208 करोड़ रुपये हैं। 22 दिसंबर, 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि वो रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक पैसे देने के संबंध में अपने बैंक खातों का विवरण दे। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि डीएमआरसी ने एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा कराए हैं। उन्होंने कहा था कि डीएमआरसी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर बकाया कर्ज को अपने ऊपर ले सकता है और बैंक को भुगतान कर सकता है। बैंक हमें किश्तों में उधारी चुकाने का विकल्प दे सकती है। इसके लिए डीएमआरसी ने कुछ बैंकों से बात भी की है।

सुनवाई के दौरान रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से कहा गया था कि बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से उन्हें एक पत्र मिला है कि उन्होंने डीएमआरसी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा था कि याचिका कोर्ट के आदेशों के पालन के लिए दायर की गई है। उन्होंने कहा था कि एक हजार करोड़ रुपये मिलने के बाद डीएमआरसी के पास पांच हजार, 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड है, जबकि बचत छह हजार, 232 करोड़ 25 लाख रुपये है। इस पर डीएमआरसी की ओर से वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि अगर उसके बैंक खातों को जब्त किया गया तो मेट्रो सेवाएं ठप हो जाएंगी और इससे किसी का लाभ नहीं होगा। दिल्ली मेट्रो एक जरूरी सेवा है। बैंक और सरकार इस पर विचार करेगी।

6 दिसंबर, 2021 को हाईकोर्ट ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि वो रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भुगतान करने के लिए 48 घंटों के अंदर एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करें। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी सरकार के साथ कई प्रोजेक्ट में काम कर रही है। वो सरकार से पैसे वसूलने के लिए जिस तरीके से दबाव बना रही है, उसे देखते हुए सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव लाना पड़ सकता है। मेहता ने आर्बिट्रेशन की रकम को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा था कि ये सात हजार, 100 करोड़ रुपये नहीं है, बल्कि पांच हजार करोड़ रुपये है।

रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर की सब्सिडियरी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट ऐसेट्स का उपयोग जुलाई 2013 से ही डीएमआरसी कर रही है। उल्लेखनीय है कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के आर्बिट्रेशन के फैसले को बरकरार रखते हुए डीएमआरसी को रिलायंस इंफ्रा को ब्याज समेत रुपये चुकाने का आदेश दिया था। डीएमआरसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती दी थी । दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि डीएमआरसी डीएएमईपीएल को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे । डीएएमईपीएल रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है । डीएमआरसी ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है ।

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