नई दिल्ली, 10 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों पर विशेष जोर देने के साथ समान और समावेशी शिक्षा पर केंद्रित है।
केंद्रीय मंत्री प्रधान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दून स्कूल द्वारा आयोजित 82वें इंडियन पब्लिक स्कूल्स कांफ्रेंस (आईपीएससी) के प्रिंसिपल्स कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समावेशी कक्षा सभी को असंख्य अनुभवों और दृष्टिकोणों से लाभान्वित करती है और इस देश के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को समझती है।
प्रधान ने कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले सभी स्कूलों से आग्रह किया कि वे प्रतिबिंबित करें कि हमारे अग्रणी स्कूल कितने समावेशी हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए और क्या किया जा सकता है कि देश के प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि एक जानकार व्यक्ति एक अच्छे समाज, एक न्यायपूर्ण समाज और एक प्रगतिशील समाज का निर्माण खंड है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम में से हर एक का कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार देने के लिए सबसे अच्छा काम करें, उन्हें उनकी पूरी क्षमता के लिए मार्गदर्शन करें और इस तरह हमारे देश और इस दुनिया को एक बेहतर समावेशी जगह बनाएं।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 1939 में कुछ आवासीय विद्यालयों के साथ शुरू हुए आईपीएससी में अब सैनिक स्कूलों और सैन्य स्कूलों सहित स्कूलों की संख्या 81 है। उन्होंने कहा कि देश के 80 से अधिक प्रमुख स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की वार्षिक बैठक कल की पीढ़ी को प्रभावित करने की शक्ति के संदर्भ में महत्वपूर्ण महत्व रखती है।
इस अवसर पर आईपीएससी की अध्यक्ष निशि मिश्रा और दून स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ. जगप्रीत सिंह भी उपस्थित थे।