साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता देवेंद्र मेवाड़ी, नमिता गोखले का नैनीताल से अटूट रिश्ता

नैनीताल, 31 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2021 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दो लेखकों का नैनीताल से अटूट रिश्ता है। नैनीताल के कालाआगर गांव में जन्मे, पले- बढ़े बाल विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी को उनके नाटक ‘नाटक नाटक में विज्ञान’ के लिए और नैनीताल में ही पली, बढ़ीं व पढ़ी अंग्रेजी लेखिका नमिता गोखले को उनके अंग्रेजी उपन्यास ‘थिंग्स टु लिव बिहाइंड’ के लिए अंग्रेजी साहित्य की श्रेणी में यह पुरस्कार मिला है।

देवेंद्र मेवाड़ी का जन्म 7 मार्च, 1944 को उत्तराखंड के नैनीताल जनपद के कालाआगर गांव में किसान किशन सिंह मेवाड़ी के घर में हुआ था। पहाड़ की चोटी के इस गांव के लोग गर्मियों के छह माह यहां और सर्दियों के छह माह ककोड़ गांव में बिताते हैं। इसलिए इन दोनों स्थानों पर प्रारंभिक से लेकर इंटर तक की शिक्षा के बाद देवेंद्र ने नैनीताल के डीएसबी परिसर से वनस्पति विज्ञान में एमएससी व हिंदी में एमए तथा बाद में राजस्थान विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया।

73 वर्षीय देवेंद्र मेवाड़ी ‘मेरी यादों का पहाड़’ जैसी चर्चित आत्मकथात्मक संस्मरण एवं बच्चों को किस्सागोई के अंदाज में विज्ञान की बारीकियों को सरल शब्दों में किस्सागोई द्वारा अनूठे अंदाज में समझाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बच्चों के लिए सौर मंडल की सैर, विज्ञान और हम, विज्ञाननामा, मेरी विज्ञान डायरी, मेरी प्रिय विज्ञान कथाएं, फसलें कहें कहानी, सूरज के आंगन में, सौरमंडल की सैर, विज्ञान बारहमासा, विज्ञान जिनका ऋणी है और पशुओं की प्यारी दुनिया सहित बीस से अधिक पुस्तकों का संपादन किया है।

नमिता गोखले के नाना सीडी पांडे राज्यसभा सदस्य रहे हैं। वह चिड़ियाघर रोड पर बक स्कूल के पास रहते थे। नैनीताल के सेंट मेरीज कॉन्वेंट कॉलेज से वह नमिता पंत के नाम से पढ़ी हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के कानून मंत्री तत्कालीन एचआर गोखले के पुत्र से विवाह किया। इसके बाद वह नमिता गोखले हो गईं। उन्हें जिस पुस्तक पर पुरस्कार मिला है, उसका लोकार्पण नैनीताल के प्रसादा भवन में आयोजित कुमाऊं लिटरेरी फेस्टिवल में अल्मोड़ा के मूल निवासी जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेश पंत के हाथों हुआ था। पंत ने इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद भी किया है। वह हिमालयन इकोज से भी जुड़ी हैं और यहां आती रहती हैं। उनके साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतने वाले उपन्यास की विषयवस्तु देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौर के नैनीताल और कुमाऊं से ही संबंधित है।

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