नई दिल्ली, 31 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में टीम के रिकॉर्ड चौथे स्थान पर रहने से खिलाड़ियों को अगली बार और भी बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली है।
पोडकास्ट ‘हॉकी ते चर्चा’ पर रानी ने कहा कि 2021 ओलंपिक पदक से चूकने के बावजूद टीम के लिए साल अच्छा साबित हुआ।
रानी ने कहा, “2021 हमारे लिए एक अच्छा साल साबित हुआ। हम टोक्यो ओलंपिक खेलों में पदक जीत सकते थे। हम हमेशा ऐसा नहीं कर पाने का दर्द महसूस करेंगे क्योंकि हम इतने करीब थे। इसे स्वीकार करना मुश्किल था।”
भारतीय महिला टीम ने 36 साल के लंबे अंतराल के बाद 2016 में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था लेकिन रियो में अंतिम स्थान पर रही। वहां से भारतीय टीम ने कड़ी मेहनत की और पांच साल बाद वे काफी बेहतर प्रदर्शन के साथ आई और पदक जीतने से चूक गई।
रानी ने कहा,”हम 2016 रियो ओलंपिक में 12वें स्थान पर रहे और इस बार टोक्यो ओलंपिक में हम चौथे स्थान पर रहे। यह महिला हॉकी के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही है। जब हम लौटे, तो भारतीय प्रशंसकों ने हमारे प्रयासों की सराहना की। हमें लगा कि हमने कुछ अच्छा किया है कि प्रशंसक हमें इतना प्यार और सम्मान दे रहे हैं। इससे हमें भविष्य में और भी बेहतर करने का विश्वास मिलता है।”
रानी ने आगे बताया कि कैसे टीम ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 की जीत से आत्मविश्वास हासिल किया और महसूस किया कि वे सेमीफाइनल में विश्व नंबर 2 अर्जेंटीना को हराकर पोडियम फिनिश हासिल कर सकते हैं।
रानी ने कहा, “मुझे लगता है कि हम अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल मैच 100 प्रतिशत जीत सकते थे। हमने मैच में शुरुआती बढ़त हासिल की और उन पर दबाव डाला। हमने कोचों द्वारा बताई गई हर बात को अंजाम दिया लेकिन पीसी को स्वीकार करना हमें महंगा पड़ा।”
भारतीय महिला टीम अपना कांस्य पदक मैच भी ग्रेट ब्रिटेन से 3-4 से हार गई। रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम के लिए यह दिल तोड़ने वाला था,लेकिन टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर आना भी एक बेहतरीन प्रदर्शन था।
रानी ने कहा, “मुझे लगता है कि यह टीम के सभी खिलाड़ियों के लिए सीखने का एक बड़ा अनुभव था, जो बड़े टूर्नामेंटों के नॉकआउट मैचों में शांत रहने की समझ हासिल करेंगे। हम अगली बार निश्चित रूप से बेहतर होंगे।”
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल करने से निश्चित रूप से भारतीय महिला हॉकी टीम का मनोबल बढ़ा है और उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि वे भी देश के लिए पदक जीत सकती हैं जैसे कि पुरुष टीम ने 41 साल बाद किया।