सीमावर्ती पर्वतीय इलाकों में 24 पुल और सड़कें राष्ट्र को समर्पित

 रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीआरओ की 27 बुनियादी परियोजनाओं का ई-उद्घाटन किया

– सामरिक जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण इन पुलों और सड़कों से सैन्य गतिविधियां आसान होंगी

नई दिल्ली, 28 दिसम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को देश के सीमावर्ती पर्वतीय इलाकों में बनाए गए 24 पुल और सड़कें राष्ट्र को समर्पित कीं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बनाए गए इन पुलों और सड़कों से सैन्य गतिविधियां आसान होंगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक जरूरतों के लिए होती हैं, बल्कि राष्ट्र के विकास में, दूरदराज के क्षेत्रों की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। ये पुल, सड़कें और सुरंगें हमारी सुरक्षा और संपूर्ण राष्ट्र को सशक्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज दोपहर 12 बजे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 27 बुनियादी परियोजनाओं का ई-उद्घाटन किया। आज राष्ट्र की सेवा में समर्पित किये गए 24 पुलों में 05 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में, 09 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में, 03 उत्तराखंड में, 05 हिमाचल प्रदेश में, 01 अरुणाचल प्रदेश में और 01 सिक्किम में फ्लैग-हिल-डोकला रोड पर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में दूरी किलोमीटर में नहीं, घंटे में नापी जाती है। बीआरओ की सड़कों, सुरंगों और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। आज राष्ट्र को समर्पित की गईं सड़कों में से सबसे महत्वपूर्ण चिसुमले-डेमचॉक है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि इन सड़कों और पुलों से न केवल इस क्षेत्र में सशस्त्र बलों की आवाजाही तेज होगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। दक्षिणी लद्दाख में 19 हजार फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर बनी उमलिंग-ला दर्रे की सड़क अब दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन चुकी है। इसका निर्माण करके बीआरओ ने भारत के कद को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। शून्य से नीचे के तापमान और अत्यधिक ऊंचाई की अनेक चुनौतियों के बावज़ूद बीआरओ कर्मियों के धैर्य, दृढ़ संकल्प और उनकी कर्मठता ने यह ऐतिहासिक काम कर दिखाया है। यह न केवल बीआरओ के लिए, बल्कि राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले इस तरह के मॉड्यूलर ब्रिज बनाने के लिए हमें बाहर से मदद लेनी पड़ती थी। इसके अलग-अलग हिस्से हमें बाहर से मंगाने पड़ते थे, पर आज हम इसके निर्माण में आत्मनिर्भर हो चुके हैं। फ्लैग हिल डोकला रोड वाले ब्रिज के बारे में मुझे बताया गया कि 140 फीट और दोहरी लेन वाला यह मॉड्यूलर ब्रिज 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। सीमाई इलाकों में घुसपैठ की, झड़प की, अवैध व्यापार और तस्करी आदि की समस्याएं प्रायः बनी रहती हैं। इन सबको देखते हुए सरकार ने कुछ समय पहले व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली की भी शुरुआत की है। जिस तरह हम सीमाई इलाकों का विकास करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, उससे उम्मीद है कि आने वाले समय में देश के हर सीमावर्ती इलाके में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

रक्षा मंत्री ने यह भी घोषणा की कि बीआरओ दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कें बनाने के साथ ही राहगीरों को ध्यान में रखते हुए 75 स्थलों पर ‘बीआरओ कैफे’ बनाएगा, जहां यात्रियों के खाने-पीने से लेकर, पार्किंग क्षेत्र, बैठने की जगह, दुकानें, चिकित्सा निरीक्षण कक्ष और फोटो गैलरी जैसी सुविधाएं होंगी। इससे यात्रियों के कारण रास्तों में होने वाली गंदगी से भी निजात मिलेगी। यह ‘बीआरओ कैफे’ आम यात्रियों के साथ ही सेना के लोगों के भी काम आएंगे। बीआरओ का यह कदम एक ओर पर्यटन और क्षेत्रीय संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा और दूसरी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार करेगा।

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