भोपाल, 24 दिसंबर (हि.स.)। मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। सदन स्थगित करने से पहले विधानसभा में हंगामा के बीच अन्य जरूरी प्रस्ताव बिना किसी चर्चा के पारित कर दिए। इसके साथ ही पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र का अवसान हो गया।
शुक्रवार को सदन में विपक्षी दल कांग्रेस ने जनजातीय विभाग के अनुपूरक बजट से संबंधित मामलों को बहुत ही गंभीरता से साथ उठाया। कांग्रेस सदस्यों के लगातार हंगाम के चलते पहले प्रश्नकाल स्थगित हुआ, जब दोबारा कार्यवाही प्रारंभ हुई, तब भी कांग्रेस विधायक आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करते रहे। अध्यक्ष के कई बार समझाने एवं सदन की कार्यवाही सुचारी रूप से चलाने के लिए कई बार आग्रह करने के बाद भी जब हंगामा शांत नहीं हुआ।
हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने अशासकीय संकल्प की सूचना पढ़ी और उन्हें भी बिना चर्चा पारित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही कांग्रेस सदस्य एवं पूर्व मंत्री ओंकार सिंह मरकाम ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट में जनजातीय विभाग के लिए काफी कम बजट होने का मामला उठाते हुए अनेक सवाल किए। इस दौरान ध्यानाकर्षण सूचनाएं भी कार्यवाही में ली गयीं। वन मंत्री विजय शाह ने एक विनियमन संशोधन विधेयक विचार के लिए प्रस्तुत किया। लेकिन सदन में हंगामा इतना अधिक था कि इस पर कोई चर्चा नहीं कराई जा सकी, जिसके चलते इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
इसी तरह लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण संशोधन विधेयक विचार के लिए रखा, पर उस पर भी चर्चा नहीं हो पाई और ध्वनि मत से उसे भी पारित कर दिया गया। इसके अलावा मध्यप्रदेश काष्ठ चिरान (विनियमन) संशोधन विधेयक 2021 को बगैर चर्चा ध्वनिमत से पारित कर दिया गया ।
सदन में कांग्रेस सदस्यों ने पहले प्रश्नकाल बाधित किया और सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। तक विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कार्यसूची में शामिल विषयों को क्रमवार पूरा करते हुए सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
इसके बाद सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप में संचालित करने में तमाम व्यवधान ढालने को लेकर सरकार की ओर से कांग्रेस पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसा। सदन से बाहर आने पर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बीते 31 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने ऐसा विपक्ष नहीं देखा है, जो चर्चा से भागता हुआ नजर आया। उन्होंने कहा कि अनुपूरक बजट के समय बजट की बात होनी चाहिए थी, न कि अन्य। जबकि यहां जो प्रश्न विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने उठाए जा रहे थे, वह प्रक्रिया के तहत नहीं थे। उधर, पूर्व प्रदेश मंत्री रहे कांग्रेस के नेता बाला बच्चन, पीसी शर्मा का कहना है कि भाजपा की सरकार जनजाति वर्ग की अनदेखी कर रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उनके बजट में 400 रुपये का प्रावधान करना है।
दरअसल, शुक्रवार की विधानसभा की कार्यवाही के प्रारंभ से ही कांग्रेस के विधायकों ने सदन में हंगामा किया था। कांग्रेस विधायक अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए अनुपूरक बजट में मात्र 400 रुपये का प्रावधान किए जाने को लेकर विरोध कर रहे थे। दूसरी तरफ, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम बार-बार विधायकों को समझाते रहे थे कि वह अपने स्थानों पर वापस जाएं और कार्यवाही को आगे बढ़ाने में सहयोग करें लेकिन सदन में विपक्षी कांग्रेस के किसी भी सदस्य ने विस अध्यक्ष की बात को गंभीरता से नहीं लिया।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के इस पांच दिनी विधानसभा सत्र के दौरान मुख्य तौर पर वित्त वर्ष 2021-22 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट और अनेक महत्वपूर्ण विधेयकों को सदन ने अनुमति प्रदान की गई है । सदन में पांचों दिन कहीं ना कहीं पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का मुद्दा मुख्य रूप से छाया रहा। इसके लिए राज्य विधानसभा के इस सत्र में मध्यप्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसान की वसूली विधेयक 2021 पारित कर दिया गया है।