कालाजार उन्मूलन के लिए ग्रामीण चिकित्सकों को दिया गया प्रशिक्षण

सीवान,23 दिसंबर ( हि.स.)।कालाजार को जड़ से समाप्त करने में कालाजार के इंर्फोमेंट की बहुत बड़ी भूमिका होती है। यह वह लोग हैं जो प्राथमिक लक्षण के आधार पर कालाजार मरीजों की पहचान करते हैं। उन्हें स्वास्थ्य केंद्र तक लाते हैं। ये बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एम आर रंजन ने की-इंर्फोमेंट के एक दिवसीय प्रशिक्षण में कही।

गोरेया कोठी स्वास्थ्य केंद्र में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। उन्होने कहा की-इंर्फोमेंट वह होते हैं जिन्हें कालाजार के मरीजों को पहचानने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह आशा, जनप्रतिनिधि, शिक्षक भी हो सकते हैं। ग्रामीण चिकित्सक भी की-इंफोर्मेंट की भूमिका निभाते हैं जो प्रशिक्षण के बाद अपने क्षेत्रों में जाकर कालाजार के मरीजों को चिह्नित करने और स्वास्थ्य केंद्र तक लाने में सहायता करेंगे।

ग्रामीण चिकित्सकों की भी महत्वपूर्ण होती है भूमिका :-

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने कहा कि ग्राम स्तर पर कोई भी बीमार व्यक्ति पहले ग्रामीण चिकित्सक के पास ही जाता है। ऐसे में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। वे ही प्रथम स्तर पर कालाजार के मरीज को पहचान कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज सकते हैं। कालाजार बीमारी बालू मक्खी के कारण होता है। जिसे नियंत्रित करने के लिए एसपी का छिड़काव वर्ष में दो बार किया जाता है। जिसके छिड़काव की जानकारी कोई भी ग्रामीण अपने आशा से ले सकता है।

सात दिनों तक चलेगा अभियान:-

कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किये जा रहें है। इसी कड़ी में 23 दिसंबर से जिले में कालाजार मरीज खोज अभियान की शुरूआत की जायेगी। आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान की जायेगी। रोगी खोज के दौरान 15 अथवा 15 दिनों से अधिक बुखार से पीड़ित व्यक्ति जिन्होंने बुखार के दौरान मलेरिया की दवा अथवा एन्टीबायोटिक दवा का सेवन किया हो एवं उसके बाद भी बुखार ठीक न हुआ हो, भूख की कमी एवं उदर का बड़ा होना जैसे लक्षण हो उन्ही व्यक्तियों की जाँच आरके 39 किट द्वारा किये जाने हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को रेफर किया जाना है ।

कालाजार के लक्षण :-

इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया और लिवर व प्लीहा की सूजन शामिल हैं। कालाज़ार से बचाव के लिए कोई वैक्सीन (टीका) उपलब्ध नहीं है। हालाँकि समय रहते अगर उपचार किया जाए, तो रोगी ठीक हो सकता है। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुबोध कुमार, पीसीआई की आरएमसी जुलेखा फातमा, स्वास्थ्य प्रबंधक विनोद कुमार, केयर बीसी विजय कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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