- चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को एस-400 की बहुत जरूरत थी
- रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने इसी माह 06 दिसम्बर को सौदे को दिया था अंतिम रूप
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (हि.स.)। रूस में बने ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पहली खेप भारत पहुंच गई है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के हाल में हुए भारत दौरे के दौरान इसकी सप्लाई जल्द करने का भरोसा दिया गया था। अगले साल इसकी दूसरी खेप भी आ सकती है। भारत को ऐसी कुल 5 यूनिट मिलेंगी। चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को एस-400 की बहुत जरूरत थी।
रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने इसी माह रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान 06 दिसम्बर को एस-400 सौदे को अंतिम रूप दिया था। भारत ने रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये में सौदा किया था। भारतीय वायुसेना को एस-400 ”ट्रायम्फ” मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) मिलनी हैं। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। भारत इसके लिए 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान भी कर चुका है। यह सिस्टम पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। यहां से यह पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है।
यह मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बनाकर दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को नष्ट कर सकते हैं। इस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। यानी अगर दुश्मन की मिसाइल किसी विमान या संस्थान पर हमले करने की कोशिश करेगी तो यह मिसाइल सिस्टम 400 किमी. दूर से ही नेस्तनाबूत करने में सक्षम है। यह एंटी-बैलिस्टक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला बोल सकती है। सतह से हवा में मार करने वाली यह रूसी मिसाइल प्रणाली 400 किमी. तक की दूरी और 30 किमी. तक की ऊंचाई पर लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है।
हालांकि रूस के साथ इस सौदे को लेकर अमेरिका ने भारत को इशारों-इशारों में प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी है। अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की इसलिए धमकी दी, क्योंकि भारत ने अमेरिकी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम पैट्रियट पीएसी 3 की बजाय रूसी एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को चुना है। अमेरिका ने रूस के साथ किसी भी देश के हथियारों के सौदों को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके लिए अमेरिका की संसद ने काउंटिंरिंग अमेरिका एडवर्सरी थ्रू सेंक्शन्स (काटसा) कानून पारित कर रखा है लेकिन भारत का कहना है कि काटसाकानून एस-400 को लेकर भारत और रूस के बीच हुए करार के बाद पारित हुआ है। भारत की हमेशा से स्वतंत्र विदेश नीति रही है, जो इस रक्षा खरीद और आपूर्ति पर भी लागू होती है।
चीन के नागरी गुंसा एयरपोर्ट और न्यींग्ची हवाई अड्डों पर पहले से ही तैनात एस-400 सिस्टम को सटीक जवाब देने के लिए भारत भी चीन सीमा पर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में रूसी ”रक्षा कवच” तैनात करेगा। दुश्मन के इलाके में करीब 400 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाले इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम के कई पुर्जों की आपूर्ति इसी महीने रूस से शुरू की गई है। एस-400 प्रणाली को संचालित करने के लिए रूस में प्रशिक्षण लेकर वायु सेना की दो टीमें भारत लौट चुकी हैं। भारत के रक्षा बेड़े में जल्द ही शामिल होने वाले इस रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है।