Agricultural: पश्चिम उप्र में कृषि निर्यात की सम्भावनाओं पर होगा मंथन

मेरठ, 14 दिसम्बर (हि.स.)। पश्चिम उप्र का बासमती चावल पूरी दुनिया में धूम मचा रहा है। यहां से अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात की सम्भावनाओं पर 15 दिसम्बर को चौधरी चरण सिंह विवि में मंथन होगा। बासमती निर्यात प्रोत्साहन संगठन की अगुवाई में एक दिवसीय कार्यशाला में किसानों, निर्यातकों, कृषि अधिकारियों के साथ मंथन होगा।

भारत से प्रत्येक वर्ष बड़ी मात्रा में बासमती चावल निर्यात किया जाता है। इसमें पश्चिम उप्र का हिस्सा बहुत ज्यादा है। बासमती के अलावा अन्य कृषि उत्पादों का विदेश में निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के बासमती निर्यात प्रोत्साहन संगठन (बीईडीएफ) ने प्रयास शुरू किए हैं। बीईडीएफ के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि 15 दिसम्बर को चौधरी चरण सिंह विवि में पश्चिम उप्र में कृषि निर्यात की सम्भावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित होगी। इस कार्यशाला में प्रगतिशील किसान, निर्यातक, कृषि अधिकारी नाबार्ड अधिकारी, कृषि उत्पादक संगठन, पैकेजिंग विशेषज्ञ शामिल होंगे।



21.63 लाख टन बासमती का हुआ निर्यात



डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2021 तक भारत से विदेशों में 13 हजार 732 करोड़ रुपए कीमत का 21.63 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ। इस समय किसानों को बासमती के अच्छे दाम मिल रहे हैं। विदेशों में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है।



गुड, शक्कर, आम, शहद, सब्जियों पर विशेष फोकस



डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती के साथ ही पश्चिम उप्र से आम, गुड़, शक्कर, शहद, सब्जियों को विदेश भेजने पर फोकस किया जा रहा है। इन चीजों के विदेश में निर्यात करने में आ रही चुनौतियों को दूर करने के प्रयास चल रहे हैं। इसलिए निर्यातकों, किसानों, पैकेजिंग विशेषज्ञों को एक मंच पर कार्यशाला में बुलाया गया है।



एपीडा चेयरमैन भी कार्यशाला में आएंगे



आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में एपीडा के चेयरमैन डॉ. एम अंगमुत्थु को भी आमंत्रित किया गया है। इसके साथ ही मेरठ मंडल के आयुक्त सुरेंद्र सिंह, कृषि अधिकारी भाग लेंगे। सभी विशेषज्ञ अपने अनुभवों से एक-दूसरे को अवगत कराएंगे। इससे निर्यात में आने वाली समस्याओं को दूर करने में आसानी होगी।

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