लखनऊ, 06 दिसम्बर(हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। अंबेडकर महासभा कार्यालय परिसर में रखे अस्थि कलश पर पुष्पांजलि की।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के अलावा मंत्री ब्रजेश पाठक, मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से अंबेडकर के अनुयायी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से भारत माता के इस महान सपूत भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। बाबा साहब अंबेडकर ने इस देश को एक संविधान दिया। संविधान किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए एक मार्ग निर्देशिका होती है। जो पूरे देश को एक व्यवस्थित मूल्यों के साथ आगे बढ़ने के लिए बाबा साहब अंबेडकर ने जिन बातों का उल्लेख करते हुए इसको बार-बार कहा था कि हमारा आदर्श क्या है। यानी कि संविधान एक पुस्तिका ही नहीं है, एक ग्रंथ ही नहीं है। तीन शब्दों के आधार पर उन्होंने सब कुछ कह दिया। स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व। यह संविधान का आदर्श होगा। याद करिए भारत के संविधान ने देश को विषम परिस्थितियों में कैसे एक नई दिशा दी है।
आपातकाल के समय में लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया था, लेकिन पूरा देश एकजुट होकर जोरदार प्रतिक्रिया व्यक्त किया था। यही नहीं जब इन सब मुद्दों को देखते हैं, आखिर एक समतामूलक समाज की स्थापना के बगैर समग्र भारत की कल्पना बेमानी होगी। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा इस ओर ध्यान आकर्षित किया। इस पर काम भी किया। बाबा साहब अंबेडकर के प्रति सम्मान का भाव ही है कि 26 नवंबर को पूरा देश संविधान दिवस के रूप में मनाता है। बाबा साहब अंबेडकर को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह पिछली सरकारों ने नहीं दिया। देश के पहले प्रधानमंत्री मोदी ऐसे हैं जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर की भावनाओं के अनुरूप भारत के निर्माण के लिए भारत के प्रत्येक तबके को शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का काम किया है। अंबेडकर से जुड़े पांच स्थलों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित करने का काम किया।
अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल बीच में एक ऐसी सरकार आई, जो यह नहीं चाहती थी कि अंबेडकर का नाम कोई और ले। अंबेडकर महासभा कार्यालय की भूमि 90 साल की लीज पर थी। उस सरकार ने इसे खाली करने के लिए आदेश दे दिया था। हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद सरकार का वह आदेश निरस्त हुआ। मुझे तकलीफ है कि अंबेडकर को मानने वाले लोग भी अंबेडकर के साथ राजनीति करते हैं। हम लोगों की बड़ी चाहत है थी कि उप्र में एक दलित मुख्यमंत्री बने। वह अंबेडकर पर राजनीति करने से बाज नहीं आईं। हम पिछली सरकार कभी जिक्र करेंगे। अखिलेश यादव सरकार ने अनुसूचित जाति के तीन लाख कर्मचारियों अधिकारियों को डिमोट कर दिया। कहीं कोई आदेश नहीं था। अम्बेडकर हमारे ‘रव’ हैं। उनके साथ कुछ गलत देश का दलित बर्दाश्त नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार में मंत्री आजम खां ने अम्बेडकर को भू-माफिया कहा था। आजम ने रामपुर में दलितों की जमीन पर कब्जा किया। मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने भी बाबा साहब अंबेडकर के प्रति अपने शब्दों के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए