‘युद्धाभ्यास शक्ति’ के छठे संस्करण का फ्रांस के ड्रैगुइगन मिलिट्री स्कूल में समापन
- गोरखा राइफल्स इन्फैंट्री बटालियन की एक प्लाटून ने भारत का प्रतिनिधित्व किया
नई दिल्ली, 26 नवम्बर (हि.स.)। आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और फ्रांस की थल सेनाओं के बीच द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास ‘युद्धाभ्यास शक्ति’ के छठे संस्करण का शुक्रवार को समापन हो गया। 15 नवम्बर से फ्रांस में शुरू हुए इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना भी रहा। इस द्विपक्षीय अभ्यास में गोरखा राइफल्स इन्फैंट्री बटालियन की एक प्लाटून ने भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया।
भारत और फ्रांस के बीच तीन द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास होते हैं। इनमें भारतीय वायु सेना के साथ अभ्यास गरुड़, भारतीय नौसेना के साथ अभ्यास वरुण और भारतीय सेना के साथ अभ्यास शक्ति हैं। इसी क्रम में ‘युद्धाभ्यास शक्ति’ का आगाज 15 नवम्बर को फ्रांस के ड्रैगुइगन मिलिट्री स्कूल में हुआ।
इस द्विपक्षीय अभ्यास में तीन जूनियर कमीशंड अधिकारियों की एक पलटन, गोरखा राइफल्स इन्फैंट्री बटालियन और सपोर्ट आर्म्स के 37 सैनिकों ने अभ्यास में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया। गोरखा राइफल्स दल की भारतीय टुकड़ी के पास 68 वर्षों के गौरवशाली इतिहास के साथ अपनी सैन्य वीरता और सर्वोच्च बलिदान की समृद्ध विरासत है। पाकिस्तान के साथ वर्ष 1971 के युद्ध में उनका योगदान बैटल ऑनर शिंगो रिवर वैली और जम्मू-कश्मीर के थिएटर ऑनर से मान्य है।
इस ‘युद्धाभ्यास शक्ति’ में फ्रांसीसी पक्ष का प्रतिनिधित्व छठी लाइट आर्म्ड ब्रिगेड की 21वीं मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिकों ने किया।फ्रांसीसी सेना की इस टुकड़ी को 1831 में दूसरी मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट के नाम से खड़ा किया गया था। 1901 में इसका नाम बदलकर 21वीं मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट कर दिया गया। इसका 120 से अधिक वर्षों का एक शानदार अभियानगत इतिहास है और इसने फ्रांसीसी सेना के सभी प्रमुख युद्धों में हिस्सा लिया है।
यह फ्रांसीसी रेजिमेंट जल, थल एवं नभ युद्ध में माहिर है। इसके पास अफ्रीका, यूगोस्लाविया, अफगानिस्तान और माली के विभिन्न अभियानों में शामिल होने का अनुभव है। ‘युद्धाभ्यास शक्ति’ के दौरान अर्धशहरी इलाके की पृष्ठभूमि में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना था।
अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने सैन्य सहयोग और अंतःक्रियाशीलता को मजबूत किया। सैन्य अभ्यास में संचालन के लिए संयुक्त योजना और आपसी समझ जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया। इसने ‘संयुक्त राष्ट्र जनादेश’ के तहत अर्ध-शहरी इलाके की पृष्ठभूमि के खिलाफ आतंकवाद विरोधी अभियानों में संयुक्त रूप से संचालन के लिए आवश्यक समन्वय पहलुओं की पहचान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार इसमें भाग लेने वाले बलों ने युद्धक कंडीशनिंग और सामरिक प्रशिक्षण भी लिया।
अभ्यास शक्ति का पिछला संस्करण 31 अक्टूबर से 13 नवंबर 2019 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (राजस्थान) के फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आयोजित किया गया था। युद्धाभ्यास शक्ति के पिछले संस्करण में भी अर्ध रेगिस्तानी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों का अभ्यास और सत्यापन किया गया था।