नई दिल्ली, 19 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन कृषि कानूनों को केंद्र सरकार की ओर से वापस लिए जाने की घोषणा के बाद कहा कि भारत के इतिहास में आज एक सुनहरा दिन है। मुख्यमंत्री अरविंद ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और तीनों काले कानून वापस लेने पड़े।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि किसानों ने बता दिया कि जनतंत्र में सरकारों को हमेशा जनता की बात सुननी पड़ेगी। भारत के इतिहास में आज एक सुनहरा दिन है और आज का दिन भारतीय इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह लिखा जाएगा।
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवादी, खालिस्तानी और राष्ट्र विरोधी कहकर किसानों के हौसले तोड़ने की कोशिशें की गईं, लेकिन आजादी के दिवानों की तरह किसानों ने लड़ाई लड़ी और जीती। अगर यह कानून पहले वापस ले लिये जाते तो आंदोलन में शहीद हुए 700 से ज्यादा किसानों की जानें बचाई जा सकती थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के इतिहास में शायद ही इससे बड़ा या इससे लम्बा कोई आंदोलन हुआ होगा। इतनी शांति पूर्वक लाखों लोगों ने संघर्ष किया। कड़ी धूप में, बरसात में, ठंड में वे पीछे नहीं हटे। इस आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार और उसकी एजेंसियों के साथ पूरे के पूरे तंत्र ने न जाने क्या-क्या कोशिशें कीं।
इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि किसानों को आतंकवादी और खालिस्तानी तक कहा गया। सब तरीके से किसानों को घेर कर उनके हौसले को तोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन यह किसानों के लिए भी आजादी की लड़ाई थी और आज आजादी के दिवानों की तरह किसानों ने कमर कसकर यह लड़ाई लड़ी और जीती।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज एक बात का बहुत दुख है कि इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की जान गई। इसकी जरूरत नहीं थी। अगर यह कानून पहले वापस ले लिए जाते तो उनकी जानें बचाई जा सकती थी। इन शहीदों को हमारा नमन। इनके परिवार को भी मेरा कोटि-कोटि प्रमाण है। उनकी आत्मा की शांति के लिए वाहे गुरुजी से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार के सभी कष्ट दूर करें।