नोटबंदी के 5 साल बाद कैश और डिजिटल ट्रांजैक्शन में हुआ ये बदलाव
-बाजार में तब 17.74 लाख करोड़ के नोट थे, बढ़कर 29.17 लाख करोड़ के हुए
नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। नोटबंदी के पांच साल पूरा होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का बोलबाला फिर कायम होने लगा है। डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी के बावजूद चलन में नोटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, इसकी वृद्धि की रफ्तार धीमी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मूल्य के हिसाब से 4 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्टूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। इस हिसाब से नोटबंदी के बाद से वैल्यू के लिहाज से नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने नकदी रखना बेहतर समझा, जिससे चलन में बैंक नोट पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डेबिट और क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान में वृद्धि हुई है। आरबीआई के मुताबिक, 30 अक्टूबर, 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, 29 अक्टूबर, 2021 तक इसमें 02 लाख,28 हजार,963 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। सालाना आधार पर 30 अक्टूबर, 2020 को इसमें 04 लाख,57 हजार,059 करोड़ रुपये और एक नवंबर, 2019 को 02 लाख,84 हजार,451 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी।
इसके अलावा चलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमशः 16.8 फीसदी और 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान इसमें क्रमशः 14.7 फीसदी और 6.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी। वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में चलन में बैंक नोटों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह महामारी रही। हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) का यूपीआई, भुगतान के एक प्रमुख माध्यम के रूप में तेजी से उभर रहा है। इस लिहाज से नोटबंदी के पांच साल के बाद नकदी का चलन जरूर बढ़ा है लेकिन इस दौरान डिजिटल लेनदेन भी तेजी से बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 08 नवंबर, 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था, जिसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 रुपये के तब के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे। इसके कुछ दिनों बाद 500 और 2000 रुपये का नया नोट सरकार ने जारी किया, जबकि बाद में 200 रुपये का नोट भी शुरू किया गया। इस निर्णय का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन पर अंकुश लगाना था। इन सबके बावजूद चलन में नोटों का बढ़ना धीमी गति से ही सही, लेकिन जारी है।