सी बी आई ने चिट फण्ड घोटाले से सम्बन्धित मामलें में निजी कम्पनी समूह के तत्कालीन चेयरमैन एवं निदेशक तथा अन्यों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया, कथित रुप से 464 करोड़ रु. (लगभग) का गबन हुआ

प्रेस विज्ञप्ति, 1 नवंबर ।। सी बी आई ने चिट फण्ड घोटाले से सम्बन्धित मामलें में निजी कम्पनी समूह के तत्कालीन चेयरमैन एवं निदेशक तथा अन्यों जिसमें उक्त कम्पनी समूह के प्रबन्ध निदेशक/निदेशक, उक्त कम्पनी समूह के दो अन्य निदेशक, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) स्थित एक निजी कम्पनी के विरुद्ध जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत, अगरतला (त्रिपुरा) के समक्ष पूरक आरोप पत्र दायर किया। पूर्व में त्रिपुरा पुलिस द्वारा भी जनवरी 2018 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था।

सी बी आई ने दिनॉक 18.10.2019 को आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया। जॉच के दौरान, यह ज्ञात हुआ कि आरोपियों ने आपस में षड़यंत्र किया एवं धोखाधड़ी के इरादे से कथित रुप से कम्पनी स्थापित की और उक्त कम्पनी के निदेशक बन गए। आगे यह आरोप है कि आरोपी निदेशकों ने आरोपी कम्पनी सहित अन्यों के साथ षड़यंत्र करते हुए, कम्पनी अधिनियम एवं सेबी (CIS) विनियमन के उल्लंघन में बड़ी संख्या में निवेशकों को होटलों में कमरे बुक करने के नाम पर प्रमाण पत्र जारी कर जमाओं के रुप में जनमानस से भारी धनराशि एकत्र की। आरोपियों ने कथित रुप से उक्त निजी कम्पनी समूह के अधीन कई अन्य कम्पनियाँ बनाई और इन कम्पनियों के निदेशक बन गए तथा यह जानते हुए कि ये कम्पनियाँ घाटे के सौदे वाली कम्पनियाँ है, फिर भी कम्पनी समूहों में धनराशि पथान्तरित (Diverted) की। उन्होने कम्पनी के नाम पर कई बैंक खाते खोले और इन बैंक खातों के हस्ताक्षरी बने एवं कथित रुप से अपने मुनाफे के लिए धनराशि को स्थानान्तरित किया/धनराशि के साथ हेरफेर की।

यह भी आरोप है कि कम्पनी के व्यापार की वास्तविकता एवं व्यावहारिकता के विपरीत आरोपियों ने कम्पनी समूह की उच्च लाभकारिता के बारे में गलत तरीके से प्रचार किया। उन्होने एक के ऊपर एक बड़ी संख्या में एजेण्टों को नियुक्त किया और कम्पनी नियम (जमाओं की स्वीकृति), के उल्लंघन में उच्च कमीशन एवं प्रोत्साहन के बल पर धनराशि एकत्र करने के लिए उन्हे प्रेरित किया। आगे, उन्होने कथित रुप से अवैध धन परिचालन स्कीम (money circulation schemes) चलाई जो कि इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबन्दी) अधिनियम के तहत प्रतिबन्धित है। आरोपियों ने कम्पनी नियमों (जमाओं की स्वीकृति) के उल्लंघन में उच्च मुनाफे का प्रस्ताव देकर उक्त कम्पनी की विभिन्न स्कीमों में धन निवेश करने के लिए निवेशकों को प्रलोभित भी किया। कम्पनी के आरोपी निदेशक, बड़े एजेन्टों एवं निवेशको के साथ कथित रुप से व्यापार विकास हेतु बैठकें, संगोष्ठियाँ और प्रतियोगिताएँ आयोजित किया करते थे और इस तरह की बैठकों में, वे ज्यादा से ज्यादा निवेश एकत्र करने हेतु निवेशकों एवं एजेण्टों को प्रेरित करने के लिए प्रेरणादायक भाषण दिया करते थे। निवेशकों के द्वारा निवेशित धनराशि कथित रुप से कम्पनी समूह की घाटे में चल रही सहयोगी कम्पनियों में पथान्तरित (Diverted) कर देते थे, जहाँ पर धनराशि का गबन होता था। यह आरोप है कि 464,80,06,331/- रु. (लगभग) की धनराशि का गबन किया गया।

जॉच के पश्चात, उक्त आरोप पत्र दायर हुआ।

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