नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। जीएसटी की व्यवस्था के चार साल पूरा होने पर केंद्र सरकार ने आज दावा किया कि इस व्यवस्था के कारण देश में ईमानदारी के साथ करों का भुगतान करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसकी वजह से इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद के 4 सालों में अभी तक 66 करोड़ से ज्यादा रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं। वहीं इन 4 सालों के दौरान करदाताओं की संख्या बढ़कर करीब 13 करोड़ तक पहुंच गई है।
देश में 1 जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के तहत उत्पाद शुल्क, वैट, सर्विस टैक्स और 13 उपकर समेत कुल 17 स्थानीय करों को एक साथ समाहित कर दिया गया था। इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद से ही अधिकांश चीजों की कीमत देश के हर राज्य में लगभग समान हो गईं। जबकि पहले हर राज्य में स्थानीय कर की दर अलग-अलग होने की वजह से हर चीज की कीमत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती थी।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर जारी एक पोस्ट में कहा गया है कि जीएसटी की व्यवस्था ने देशभर के सभी करदाताओं के लिए इसका अनुपालन आसान बना दिया है। जीएसटी के तहत व्यवसायी वर्ग में डेढ़ करोड़ रुपये तक के टर्नओवर का व्यवसाय करने वाले लोग कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं। इसके तहत वे सिर्फ 1 फीसदी टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।
इसके अलावा 40 लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले व्यवसायियों को टैक्स से छूट दी गई है। इसी तरह सर्विस सेक्टर में 1 साल में 20 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले व्यवसायियों को भी जीएसटी से छूट दी गई है। जबकि सालाना 50 लाख रुपये तक की सर्विस उपलब्ध कराने वाले कारोबारियों के लिए कंपोजिशन स्कीम का विकल्प दिया गया है, जिसके तहत उन्हें केवल 6 फीसदी टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।
मंत्रालय के ट्वीट में दावा किया गया है कि जीएसटी को उपभोक्ताओं और करदाताओं दोनों के अनुकूल पाया गया है। जीएसटी लागू होने के पहले की व्यवस्था में टैक्स की ऊंची दरों के कारण लोगों में टैक्स देने की जगह उनको छिपाने की प्रवृत्ति अधिक थी लेकिन जीएसटी के तहत सभी करों को समाहित कर एक कर का रूप दे देने और उसके दर को तुलनात्मक रूप से कम लगाए जाने की वजह से लोगों में टैक्स के भुगतान की प्रवृत्ति बढ़ी है। यही कारण है कि पिछले चार सालों के दौरान अभी तक 66 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं।
2021-06-30