भारतीय पुरुष हॉकी टीम ओलंपिक पदक के प्रबल दावेदारों में से एक : तुषार खांडेकर

नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। टोक्यो ओलंपिक खेलों के शुरू होने पर अब जब की 46 दिन शेष बचे हैं, भारतीय एथलीटों की उत्सुकता स्पष्ट है। बहुप्रतीक्षित वैश्विक आयोजन से पहले अपना उत्साह व्यक्त करते हुए ओलंपियन तुषार खांडेकर ने कहा कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम पदक के प्रबल दावेदारों में से एक होगी। 
ओलंपिक खेलों से पहले हॉकी इंडिया द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला ‘हॉकी ते चर्चा’ में तुषार ने कहा, “निश्चित रूप से मैं ओलंपिक देखने के लिए उत्साहित हूं। भारतीय पुरुष टीम के प्रदर्शन को देखकर मैं यह कह सकता हूं कि टीम पदक जीतने की प्रबल दावेदार हैं।” 
उन्होंने आगे कहा कि भारत के पिछले अनुभवों ने महत्वपूर्ण सबक सिखाया है और खिलाड़ी अच्छी तरह से समझते हैं कि ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में छोटी-छोटी गलतियां कितनी भारी पड़ सकती हैं।” 
उन्होंने कहा, “हमने प्रत्येक ओलंपिक खेलों से सीखा है। हम 2008 में क्वालीफाई नहीं कर पाए, हम लंदन में 12वें और रियो में 8 वें स्थान पर रहे। हमने 2012 में की गई गलतियों से सीखा। लंदन ओलंपिक का हिस्सा रहे खिलाड़ी, जैसे श्रीजेश, मनप्रीत, सुनील, दानिश मुजतबा, रघुनाथ और अन्य, जिन्हें भी रियो में खेलने का मौका मिला था, उन्होंने खुद से कहा था कि टीम लंदन में की गई गलतियों को रियो में दोहराएगी और रियो में उनके खेल में यह दिखा भी। इसी तरह, मुझे यकीन है कि खिलाड़ी जो रियो का हिस्सा थे,वे वहां की गई गलतियों को टोक्यो में करने से बचेंगे।” 
तुषार, जो 2014 से 2016 के बीच सहायक कोच के रूप में भारतीय पुरुष टीम के सहयोगी स्टाफ का हिस्सा थे, का मानना ​​​​है कि मौजूदा टीम ने हर पहलू में स्तर बढ़ाया है।
वर्ष 2003 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले तुषार ने कहा, “मुझे लगता है कि मौजूदा टीम ने स्तर उठाया है और उन्होंने आत्मविश्वास की एक बड़ी भावना विकसित की है कि वे दुनिया की शीर्ष टीमों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। 2008-09 में मंदी के बाद, हम अभी जिस स्तर पर हैं,हमें वहां पहुंचने में 10-11 साल लग गए हैं।” 
तुषार ने विश्व स्तर पर भारत हॉकी में सुधार का श्रेय हॉकी इंडिया को दिया। तुषार ने कहा, “एक अच्छी टीम बनाने के लिए, हमें निश्चित रूप से अच्छी योजना की जरूरत है, और जिस तरह से हॉकी इंडिया ने अपनी योजना और उसे व्यवस्थित रूप से क्रियान्वित करने का तरीका अपनाया है, उससे मैं बहुत खुश हूं। पिछले 10-12 वर्षों में उन्होंने बहुत सारे बदलाव लाए हैं और खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक बहुत ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर दिया है। वे न केवल गुणवत्ता वाले खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं, बल्कि वे हॉकी इंडिया कोच एजुकेशन पाथवे के माध्यम से गुणवत्ता वाले कोच भी विकसित करने पर काम कर रहे हैं।” 

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