आरबीआई की सालाना रिपोर्ट जारी, 10.5% वृद्धि दर का अनुमान

नई दिल्ली, 27 मई (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का मानना है कि कोरोना संक्रमण का दूसरा दौर पहले दौर की तुलना में देश की अर्थव्यवस्था को कम नुकसान पहुंचाने वाला होगा‌। रिजर्व बैंक की आज पेश हुई सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि इस जानलेवा बीमारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाने में हमें कितना समय लगता है। 
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि करोना संक्रमण के बावजूद अर्थव्यवस्था में सुधार के कई संकेत लगातार मिलते रहे हैं। पहले दौर का लॉकडाउन खत्म होने के बाद देश में शुरू हुई आर्थिक गतिविधियां आगे भी चलती रही हैं। खासकर रोड कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी, हाउसिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर की एक्टिविटी चलती रही है। बड़ी बात ये भी रही कि 2020-21 की पहली तिमाही में जिस तरह देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई थीं, वैसी स्थिति दोबारा नहीं बनीं। 
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लगाई गई पाबंदियों के कारण जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमानों में संशोधन का दौर भी शुरू हो गया है। अलग अलग एजेंसियों द्वारा अलग अलग अनुमान पेश किये जाने के बावजूद रिजर्व बैंक ने 2021-22 के लिए एक बार फिर 10.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान जताया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 26.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 8.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी और आखिरी यानी चौथी तिमाही में 6.2 फीसदी वृद्धि दर रहने का अनुमान है। 
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2021-22 में मौद्रिक नीति का रुख देश के विस्तृत आर्थिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा। रिजर्व बैंक की कोशिश ऐसी नीति पेश करने की होगी, जिससे मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान किया जा सके और महंगाई पर लगाम लगाया जा सके। 
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि कोरोना संक्रमण के कारण अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव पड़ा है। ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था की रिकवरी काफी हद तक निजी क्षेत्र से आने वाली मांग पर भी निर्भर करेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के आर्थिक ढांचे को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए निवेश बढ़ाने पर बल देना होगा। विशेष तौर पर लंबी अवधि के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मदद से देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में ज्यादा सहायता मिलेगी। 
भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि मौजूदा समय में अलग-अलग सेक्टर में विकास की पूरी संभावना बनी हुई है। ऐसे में अगर कोरोना संक्रमण पर जल्दी काबू पा लिया जाता है, तो अर्थव्यवस्था में सुधार होने की काफी संभावना है और भारत के लिए अर्थव्यवस्था की पुरानी रफ्तार को हासिल करना कठिन भी नहीं होगा। 

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