यह चंद्रग्रहण कुछ अलग है…इसलिए है सुपर ब्लड मून

एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे मानते हैं इसे उपछाया चंद्रग्रहण
नैनीताल, 26 मई (हि.स.)। अंधेरी रातों में कभी छोटा तो कभी बड़ा दिखते हुए हमेशा कौतूहल का केंद्र रहने वाला चांद बुधवार को कुछ अलग खास पलों का गवाह बनने जा रहा है। बुधवार अपराह्न दो बजकर 17 मिनट से शाम 7 बजकर 19 मिनट तक चांद वर्ष 2021 के पहले चंद्रग्रहण के दौर से गुजर रहा है। खास बात यह भी यह है कि पृथ्वी से अपेक्षाकृत कम दूरी से गुजरने और शाम को सूर्यास्त के दौरान भी होने की वजह से आज का चांद सुपर व ब्लड मून यानी अपेक्षाकृत अधिक बड़ा व लाल रंग का नजर आने वाला है। 
स्थानीय एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि आज का चंद्रग्रहण भारत के लिहाज से उपछाया चंद्रग्रहण है। इसका अर्थ यह है कि आज पृथ्वी व सूर्य के बीच में आने के बावजूद चंद्रमा की छाया भारत के किसी भी हिस्से में सीधे नहीं पड़ रही है। बल्कि भारत चंद्रमा की छाया के बाहरी क्षेत्र में है, इसलिए भारत के पूर्वाेत्तर क्षेत्रों में इसकी उपछाया ही पड़ रही है। इसलिए इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है। इसके अलावा वर्तमान में चूंकि चंद्रमा पृथ्वी के अपेक्षाकृत करीब है, इसलिए इसका आकार अन्य दिनों के सापेक्ष थोड़ा बड़ा दिखाई देगा। इसलिए इसे सुपर मून कहा जा रहा है और चूंकि यह चंद्रग्रहण शाम व सूर्यास्त के समय भी पड़ रहा है, इसलिए इस दौरान इस पर सूर्य के प्रकाश का लाल रंग अधिक प्रकीर्णन करेगा, इसलिए यह अपेक्षाकृत थोड़ी अधिक लालिमा लिए हुए होगा। उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण की घटना खगोल वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण से बड़े अध्ययनों में सहायक नहीं होती, इसलिए एरीज में चंद्रग्रहण का अध्ययन नहीं किया जाता है। फिर भी यहां दिखाई देने वाले चंद्रग्रहणों को बड़ी दूरबीनों के माध्यम से क्षेत्रीय लोगों को दिखाने के प्रबंध किए जाते हैं।

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