जयपुर, 26 मई (हि.स.)। केन्द्र सरकार की ओर से 06 मई को जारी की गई अधिसूचना के बावजूद राजस्थान की एक बड़ी आबादी कोरोना से बचाव के लिए मजबूत कवच वैक्सीनेशन से वंचित है। इस आबादी का एक ही कसूर है कि वे पाकिस्तान से आए शरणार्थी हैं और उनके पास भारतीय नागरिकता का कोई सबूत नहीं है। पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर और जयपुर समेत छितराए इलाकों में बसे तीस हजार से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों को वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को शुरू हुए चार महीने गुजर जाने के बावजूद कोरोना से बचाव का कवच नहीं दिया जा सका है।
भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस के बंद होने से पहले इस ट्रेन से सैकड़ों विस्थापित पाक हिंदू भारत आ गए थे। जोधपुर पाकिस्तान विस्थापितों का देश में सबसे बड़ा ठिकाना है। जोधपुर में पाक विस्थापितों की बस्तियां कोरोना की दहशत से गुजर रही हैं। महामारी से बचाव का टीका अब इन बस्तियों या ट्रांजिट कैंप में रहने वाले हजारों लोगों को नहीं लग रहा है। उन्हें वैक्सीनेशन सेंटरों से खाली हाथ लौटाया जा रहा है। इकलौती वजह है कि उनके पास आधार कार्ड नहीं है। आधार कार्ड तब बनता है जब कोई भारत का नागरिक हो। विस्थापितों की बड़ी आबादी नागरिकता का इंतजार कर रही है।
ये परेशानी सिर्फ जोधपुर में ही नहीं, जयपुर, जैसलमेर समेत राजस्थान और देश के कई इलाकों में है। जोधपुर, जयपुर और जैसलमेर समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में ही 30 हजार से अधिक पाक विस्थापित हैं, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है।
विस्थापितों के लिए काम कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोढ़ा कहते हैं कि एलटीपी लोंग टर्म पासपोर्ट व पाकिस्तानी पासपोर्ट के आधार पर कुछ लोगों ने लालच से आधार कार्ड बनवा लिया था, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक ही है।
06 मई को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे लोग जिनके पास आईडी नहीं है। भिखारी-साधु संत सरीखे लोग वैक्सीनेशन करवा सकेंगे, लेकिन पाक शरणार्थियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। सोढ़ा कहते हैं कि अब प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की गई है कि जिस तरह साधु-संतों और घर विहीन लोगों के लिए बिना आधार कार्ड वैक्सीनेशन की मंजूरी दी गई है उसी तरह विस्थापितों को भी यह अधिकार दिया जाएं। पाक विस्थापितों के पास यात्रा दस्तावेज हैं। रहने के लिए लोगों के पास टर्म वीजा और अनुमति है। इन दस्तावेजों से उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए।
हालत यह है कि बिना आधार कार्ड इन विस्थापितों को वैक्सीनेशन सेंटर से लौटाया जा रहा है। विस्थापितों का कहना है कि बिना आधार कार्ड उनके यात्रा दस्तावेज के आधार पर उन्हें टीका लगाया जाए जिससे वे जान बचा सकें। विस्थापितों का कहना है कि जब साधु-संतों और घर विहीन लोगों को बिना पहचान कार्ड से वैक्सीन लगाई जा रही तो फिर उनको क्यों नहीं?
राजस्थान सरकार ने हालांकि भरोसा दिलाया है कि विस्थापितों की टीकाकरण की समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन पूरा मसला केंद्र सरकार से जुड़ा है। सीएएन बिल पास होने के बाद विस्थापितों को उम्मीद थी कि उन्हें नागरिकता जल्द मिलेगी और उनकी पहचान का संकट खत्म होगा, लेकिन कोरोनाकाल में परेशानियां यथावत हैं।