मऊ, 16 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जारी निर्देश के क्रम में जेल में कोविड संक्रमण को देखते हुए सात साल की सजा वाले जेल में निरूद्ध बंदियों की रिहाई शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि इसके लिए जिला जज ने दो न्यायिक अधिकारियों को नामित किया है। जिसमें एडीजे एफटीसी श्री आसिफ इकबाल रिजवी को सत्र न्यायालय द्धारा विचारणीय मामलों में जेल अधीक्षक की ओर से भेजे गए प्रार्थना पत्र पर रिहा करने का आदेश जैसा उचित समझेंगे पारित करेंगे।
बंदियों को यह सुविधा निःशुल्क जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराए जाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें जेल अधीक्षक के सहयोग के लिए पांच पीएलबी और पांच पैनल अधिवक्ताओं को नामित किया गया है। जो जेल प्रशासन का सहयोग करेंगे। और क्रमवार एक-एक दिन के अंतराल पर जिला जेल पहुंचकर जेल के स्टाफ का सहयोग करेगें। इसमें रामप्रीत कुशवाहा, बृजेश सिंह, फतेहबहादुर सिंह,निर्मला यादव और ज्ञान प्रकाश उपाध्याय को नामित किया गया है।
यह पूरी व्यवस्था जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बंदियों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। अगर किसी बंदी से अथवा उसके पैरवीकार से कोई इसके लिए रूपयों की मांग करेगा तो वह कदाचार यानि भ्रष्टाचार की श्रेणी में आएगा। उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है। ऐसे में आमजन ऐसे किसी के बहकावे में न आवे। अगर उनका मामला हाईपावर कमेटी की ओर से जारी गाइडलाइंस में आता है तो वह निःशुल्क रिहा हो जाएगा। अगर कोई पैसे की मांग करता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मऊ अथवा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के यहा शिकायत कर सकता है।