आमोदकांत
गोरखपुर, 13 मई (हि.स.)। कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों को अब दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। दवाओं की कालाबाजारी और बढ़े दामों से निजात पाने के लिए जोड़गांठ करने वाले लोग अब मंहगाई की मार झेलने लगे हैं। हालात यह है कि अधिकांश लोगों की रसोई का बजट गड़बड़ा गया है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2020 के बाद से ही तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। यह पहली बार हुआ है कि सरसों तेल के दाम ने 185 रुपये प्रति लीटर तक उछाल मारा है। इतना ही नहीं, रिफाइंड का दाम भी 166 से 170 रुपये तक पहुंच गया है। दलहन के दाम में भी उछाल देखने को मिल रहा है। इस समय अरहर और मसूर दाल की कीमत में 20 फीसद तक कि बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। आमतौर पर ये दालें 80 रुपये किलो तक बिकतीं हैं।
ऐसे गड़बड़ाया बजट
रिफाइंड और सरसों के तेल के दाम बार-बार दाम बढ़ रहे हैं। यह तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। आने वाले समय में रिफाइंड और सरसों तेल के दामों में और तेजी की आशंका है। बीते एक माह में रिफाइंड के दामों में 25 रुपये लीटर और सरसों के तेल के दाम भी 40 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है।
कहते हैं ग्राहक
गोरखनाथ निवासी रंजना मिश्रा का कहना है कि सब्जी का दाम कम होता है तो फल, तेल, डालडा, दाल के दाम बढ़ जाते हैं। तेल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण जरूरी है। अगर ऐसे ही कीमतें बढ़ती रही तो सरसों के तेल का दाम जल्दी ही 200 रुपये के पार हो जाएगा।
आजाद चौक निवासिनी साक्षी शुक्ल का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू की वजह से काम-धंधा बंद है। बच्चों ने ट्यूशन आना बंद कर दिया है। इधर, महंगाई बढ़ रही है। यही हाल रहा तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। आमदनी कम हो गई है और महंगाई बढ़ रही है।
2021-05-13