बंगाल विधानसभा में महिला सदस्यों की संख्या बरकरार, तृणमूल का प्रतिनिधित्व बढ़ा

कोलकाता, 07 मई (हि.स.)। नवनिर्वाचित पश्चिम बंगाल विधानसभा में महिला सदस्यों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।  2016 के चुनाव में 40 महिलाएं चुनकर आई थीं और इस बार भी महिला विधायकों की संख्या इतनी ही रही है। हालांकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने महिला सदस्यों की संख्या में इजाफा किया है। पिछली विधानसभा में तृणमूल की 29 महिला सदस्य थीं जो इस बार 33 हो गई हैं। 
विधानसभा चुनाव में चुनाव में लगभग सभी दलों ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने सबसे अधिक 50 महिलाओं को टिकट दिया था। इनमें से 34 चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता हासिल कर चुकी हैं। विदाई मंत्रिमंडल की सदस्य रह चुकीं शशि पांजा (श्यामपुकुर), चंद्रिमा भट्टाचार्य (दमदम उत्तर), असीमा  पात्र (धनेखाली) के अलावा पूर्व मंत्री सावित्री मित्र (मानिकचक), सबीना यास्मीन (मोथाबाडी) शिउली साहा (केशपुर) जैसे पुराने चेहरे फिर से सदन की शोभा बढ़ाएंगे। 
तृणमूल के नए महिला सदस्यों की बात करें तो उनमें सबसे पहले रत्ना चटर्जी (बेहाला पश्चिम) का नाम आता है जो पहली बार चुनाव लड़ कर विधानसभा में एंट्री करने में सफल रही हैं। वैसे रत्ना चटर्जी के लिए विधानसभा की गतिविधियां अपरिचित नहीं है क्योंकि उनके पिता दुलाल दास लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं जबकि उनकी माता कस्तूरी दास भी विधायक रह चुकी थीं। रत्ना के पूर्व पति शोभन चटर्जी लंबे समय तक विधायक और मंत्री रहे हैं। पति-पत्नी में अलगाव  और शोभन के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद तृणमूल ने  शोभन की सीट रही बेहाला पश्चिम से रत्ना चटर्जी को टिकट दिया था। रत्ना चटर्जी के अलावा सेल्युलायड के कुछ सितारे भी सदन में नजर आएंगे। इनमें अभिनेत्री  जून मालिया (मेदिनीपुर), लवली मोइत्रा (सोनारपुर दक्षिण), वीरवाहा हांदसा (झाड़ग्राम), गायिका आदिति मुंशी जैसे नाम शामिल हैं।  इन सबके साथ तृणमूल नेता सुदीप बनर्जी की पत्नी नयना बनर्जी (चौरंगी) भी फिर से चुनी गई हैं।

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कुल सात महिलाएं चुनकर आई हैं। महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष एवं फैशन डिज़ाइनर अग्निमित्रा पाल के अलावा  राज्य के पूर्व मंत्री गौतम देव को पराजित करने वाली शिखा चटर्जी (डाबग्राम-फुलवारी), श्रीरूपा मित्र (अंग्रेज बाजार), सुनीता सिंह (कांथी उत्तर), मालती रावा (तूफानगंज), तापसी मल्लिक (हल्दिया) तथा चंदना बाउड़ी (शालतोड़ा) शामिल हैं। 

तृणमूल की महिला उम्मीदवारों की बात करें तो उनकी सफलता का प्रतिशत 70 से ऊपर रहा है। कई जिलों में तृणमूल  महिला उम्मीदवारों ने शत-प्रतिशत सफलता हासिल की है। उदाहरण के लिए कोलकाता में पार्टी ने दो महिला उम्मीदवार उतारे और दोनों जीतने में सफल रहीं। इसी तरह पश्चिम मेदिनीपुर में चार में चार जीते, हावड़ा में दो में दो जबकि पुरुलिया, पूर्व वर्धमान, मुर्शिदाबाद और बीरभूम जिलों में एक में एक। यानी इन जिलों में तृणमूल  की महिला उम्मीदवारों को शत-प्रतिशत कामयाबी मिली। 

तृणमूल  ने सबसे अधिक सात महिला उम्मीदवार उत्तर 24 परगना जिले में उतारे थे। इनमें से छह को जीत हासिल हुई। इसी तरह हुगली में पार्टी की पांच महिला उम्मीदवारों में से चार जीतने में सफल रहीं जबकि मालदा में पांच  महिलाओं में से तीन को जीत मिली। बांकुड़ा में तृणमूल का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और यहां पार्टी की  पांच महिला उम्मीदवारों में से सिर्फ एक सफल हो सकीं। दूसरी तरफ भाजपा की महिला उम्मीदवार कम से कम पांच जिलों में आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। पार्टी ने मुर्शिदाबाद में चार, उत्तर 24 परगना में चार, दक्षिण 24 परगना में तीन, पश्चिम मेदिनीपुर में तीन, तथा कोलकाता में दो महिला उम्मीदवार उतारे थे लेकिन इनमें से किसी को भी जीत नसीब नहीं हो सकी। यहां तक कि पार्टी की तेजतर्रार नेता और सांसद लॉकेट चटर्जी, प्रदेश उपाध्यक्ष भारती घोष जैसी चर्चित  नेता भी चुनाव हार गयीं। 

उल्लेखनीय है कि इस बार के संशोधित मतदाता सूची के मुताबिक पुरुष और महिला मतदाताओं का अनुपात  1000:956 का रहा है। यानी एक हजार पुरुष मतदाताओं पर 956 महिला मतदाता रहे। 2019 के मतदाता सूची के अनुसार यह अनुपात 1000 : 949 था जबकि 2018 में 1000 : 942 रहा था। मोटे तौर पर देखा जाए तो 294 सीटों वाली बंगाल  विधानसभा में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व 15  प्रतिशत से भी कम रहने वाली है। ये आंकड़े  महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण की हिमायत करने वाले राजनीतिक दलों को आइना दिखाने वाले हैं।   लोकतंत्रीय व्यवस्था के लिए  इसे  शुभ संकेत नहीं माना जा सकता।

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