- पुलवामा आत्मघाती हमले का बदला लेने के लिए चलाया गया था खुफिया ऑपरेशन
- ऑपरेशन के दौरान लगभग 200-300 आतंकवादियों के मारे जाने की हुई थी पुष्टि
नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान के साथ बैक चैनल वार्ताओं के बाद गुरुवार को ‘संघर्ष विराम’ की सहमति से जुड़ा साझा बयान आया। इसके अगले दिन शुक्रवार को ‘बालाकोट स्ट्राइक’ के तौर पर याद किया जा रहा है। भारत ने दो साल पहले इसी रात को पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में जाकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को हवाई हमले करके नष्ट किये थे। तड़के 3.45 बजे तत्कालीन वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने एक विशेष आरएएक्स नंबर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को टेलीफोन कॉल करके कोड वार्ड ‘बन्दर मारा गया’ कहकर ऑपरेशन पूरा होने की जानकारी दी।
बालाकोट स्ट्राइक का लक्ष्य था आतंकी संगठन जैश का नियंत्रण कक्ष जहां से आत्मघाती बमबारी, आईईडी, तोपखाने की ट्रेनिंग और भारत, अमेरिका एवं अफगानिस्तान में आतंक फैलाने की साजिशें रची जा रही थीं। जिन क्षेत्रों में मानव संसाधन उपलब्ध नहीं थे, उन क्षेत्रों में लक्षित सटीकता के साथ हमले करना भारत के लिए प्रमुख चुनौती थी। इसके बावजूद भारत ने गोपनीय तौर पर जैश के शिविर की संरचनाओं, दीवारों की मोटाई, सीलिंग और आतंकवादियों की मौजूदगी का पता लगाया। इसमें पाया गया कि शिविर में एक जिम, फायरिंग रेंज, स्विमिंग पूल आदि के साथ-साथ आउटडोर गेम खेलने के लिए एक मैदान भी था।
ऑपरेशन से पहले गोपनीय जानकारियां जुटाने के दौरान यह भी पता चला कि जैश के आतंकी शिविर में मोटी दीवारों वाला सुरक्षित गोला-बारूद का गोदाम भी था। गोला बारूद के इस भंडार में आईईडी, 200 असॉल्ट राइफलें, हैंड ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर और 7.62 के बेशुमार राउंड और 5.56 मिमी की गोलियां शामिल थीं। केंद्र सरकार के अधीन खुफिया जानकारी जुटाने वाले संगठन नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) ने क्षेत्र में सक्रिय सेल फोन की संख्या का भी विश्लेषण किया। चूंकि भारत इससे पहले 28-29 सितम्बर, 2016 की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसकर आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकी कैंपों को तबाह कर चुका था, इसलिए पिछले अनुभव भी बालाकोट स्ट्राइक में काम आये।
सारी जानकारियां इकट्ठा करने के बाद भारतीय वायुसेना के सफ्रान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस-सप्लाई मिशन एनालिसिस एंड रिस्टोरेशन सिस्टम (एमएआरएस) में संपूर्ण समन्वय स्थापित किया गया जिसने उड़ान और हमले की योजना बनाई। यह सिस्टम वीडियो प्लेबैक के साथ मिशन का विश्लेषण करता है। इसके अलावा सामरिक स्थितिजन्य जागरुकता प्रदान करने के साथ ही उड़ान गलियारे, खतरों के स्थान, डिजिटल नक्शे, इलाके की रूपरेखा, मौसम संबंधी स्थिति और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए हथियार से लक्ष्य मिलान मापदंडों और ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देता है। 18 फरवरी, 2019 से शुरू की गई यह तैयारी 4 दिनों के भीतर पूरी कर ली गई। इसके बाद वायुसेना की पश्चिमी और मध्य वायु कमान से विभिन्न परिसंपत्तियां जुटाने में 5वें दिन का इस्तेमाल किया गया।
22 फरवरी : हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के आसमान पर भारतीय वायुसेना ने पूर्वाभ्यास शुरू किया। पाकिस्तान एयर फ़ोर्स ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। भारतीय जेट विमानों से रफ़ीक़ी, कामरा और सरगोधा में हाथापाई की। इस पर भारतीय वायुसेना ने भिसियाना, आदमपुर, हलवारा, श्रीनगर और अवंतीपोरा से जवाबी कार्यवाही की।
26 फरवरी : रात 2 बजे पीएम नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और कई लोगों के साथ मिलिट्री कमांड के प्रमुख नई दिल्ली में कहीं न कहीं अपनी स्क्रीन के साथ जाग रहे थे। वायु कर्मचारी निरीक्षण निदेशालय (डीएएसआई) ने ग्वालियर एयरबेस से किसी को भी किसी तरह का संदेह होने से पहले रात 2 बजे से पहले ऑपरेशन का संचालन किया। सेंट्रल एयर कमांड के एयर कमांडिंग ऑफिसर को भी इस ऑपरेशन के बारे में कुछ घंटे पहले तक पता नहीं था। उन्हें सिर्फ इतना सूचित किया गया था कि कहर बरपाने के लिए ग्वालियर के 12 लड़ाकू विमानों को पाक हवाई क्षेत्र में जरूरत है।
सुबह 2 बजे: ग्वालियर एयरबेस से 6 मिराज-2000 रवाना हुए और आगरा पहुंचे। यहां से उड़ान भरने वाले 6 लड़ाकू विमानों में से 3 मिराज कुल 1000 हाई स्पीड लो ड्रैग (एचएसएलडी) बमों से लैस थे। अन्य 3 मिराज-2000 को 6907 किग्रा स्पाइस पीजीएम बमों से लैस किया गया था जिन्हें आईएल-78 एमकेआई द्वारा फिर से ईंधन दिया गया।
सुबह 3 बजे : एक दिन पहले ही ग्वालियर से आदमपुर में तैनात किए गए 6 मिराज-2000 चकमा देने के लिए पहले पूर्वी हिमाचल प्रदेश की ओर गए और आगरा से उड़े 3 मिराज-2000 के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर की ओर रुख किया।
सुबह 3:30 बजे से 4:00 तक: भारी हथियारों से लैस सुखोई-30 एमकेआई सहित छह विमान पाकिस्तान की सीमा पार करके भिसियाना से ओकरा-बहावलपुर की ओर और हलवारा से लाहौर की ओर बढ़े।
सुबह 3:30 बजे : 6 मिराज-2000 दो भागों में बंट गए। इसमें 3 एचएसएलडी के साथ बालाकोट की ओर और 3 स्पाइस-2000 के साथ उत्तर-पश्चिम में स्थित मुजफ्फराबाद की ओर चले गए। यह सभी विमान टेरेन मास्किंग फ्लाइट प्रोफाइल से लैस थे, इसलिए वायु क्षेत्र में इन्हें खोज पाना मुश्किल था।
सुबह 3:35 बजे : बालाकोट बेस कैंप पर दक्षिण-पश्चिम दिशा से 3 मिराज ने 5 स्पाइस-2000 बम सटीकता के साथ गिराए जिससे यहां चल रहे आतंकियों के लांचिंग पैड पूरी तरह नष्ट हो गए।
सुबह 3:45 बजे से 3:53 बजे तक : एचएसएलडी से सुसज्जित 3 मिराज उत्तर पूर्वी दिशा से बालाकोट बेस कैंप पहुंचे और एक के बाद एक 9 एचएसएलडी बमों को गिराया और सभी 6 मिराज फिर भारत की ओर मुड़ गए।
सुबह 3:40 बजे : 6 मिराज पाक अधिकृत कश्मीर में घुसे और केरन वैली के ऊपर मध्यम ऊंचाई में आपरेशन का संचालन किया। इसी दौरान ये 6 मिराज पाकिस्तानी वायुसेना के कामरा स्थित एयरस्पेस सर्विलांस रडार की पकड़ में आ गए जिसके कारण रावलपिंडी के चकलाला एयरबेस से दो एफ-16 पाकिस्तानी लड़ाकू विमान उड़े। चूंकि वे अभी भी मिराज से 120 किमी दूर थे, इसलिए मिराज के भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश करने के चार मिनट बाद ही वे बालाकोट पहुंच पाए। इस तरह भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के अंदर 21 मिनट तक ऑपरेशन चलाकर कहर बरपाया। इस ऑपरेशन में भारत ने एक मिग-21 को खो दिया जिसने नीचे जाने से पहले एक पाकिस्तान के एफ-16B को मार गिराया था। बाद में वह अपने ही सुखोई से मारा गया।
सुबह 3.45 बजे : तत्कालीन वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने एक विशेष आरएएक्स नंबर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को टेलीफोन कॉल किया। आरएएक्स एक अल्ट्रा-सिक्योर फिक्स्ड लाइन नेटवर्क है। उन्होंने डोभाल को कोड वर्ड में बताया ‘बन्दर मारा गया’ यानी खुफिया ऑपरेशन सफलता के साथ पूरा हुआ। धनोआ ने तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सचिव (अनुसंधान और विश्लेषण विंग) अनिल धस्माना को इसी तरह की कॉल की। एनएसए डोभाल ने प्रधानमंत्री मोदी को सूचित किया।
इस तरह भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 जेट्स ने नियंत्रण रेखा पार करके बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के संचालित आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया। बाद ने एनटीआरओ ने इस ऑपरेशन के दौरान लगभग 200-300 आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि की। यह खुफिया ऑपरेशन 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा आत्मघाती हमले का बदला लेने के लिए चलाया गया था जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। बालाकोट वह स्थान है जहां महाराजा रणजीत सिंह के सिख साम्राज्य के खिलाफ भारतीय उपमहाद्वीप का पहला जेहाद हुआ था। इस जेहाद को महाराजा के पुत्र कुंवर शेर सिंह और जेहाद के नेता सईद अहमद बरेलीवी ने बालाकोट में बुरी तरह से कुचल दिया था।