प्रदेशभर के 100 से ज्यादा व्यापारिक संगठनों का समर्थन
रायपुर, 25 फरवरी (हि.स.)। जीएसटी विसंगतियों के विरोध में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का 26 फरवरी को भारत बंद होगा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि जीएसटी विसंगतियों के विरोध में कैट के भारत बंद के समर्थन में कई व्यापारिक संगठनों ने स्व-स्फूर्त समर्थन देने का वादा किया है।
प्रदेश के बस्तर चेम्बर ऑफ कॉमर्स, बिलासपुर संभागीय चेम्बर ऑफ काॅमर्स, कोरबा चेम्बर ऑफ काॅमर्स, कांकेर चेम्बर ऑफ काॅमर्स, महासमुंद चेम्बर ऑफ कॉमर्स, के साथ ही प्रदेशभर के 100 से ज्यादा व्यापारिक संगठनों का समर्थन मिल चुका है।
राजधानी रायपुर में अब तक 50 से अधिक व्यापारिक संगठनों ने बंद को सफल बनाने के लिए समर्थन दिया है। कैट के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि जीएसटी के घातक परिणामों की वजह से व्यापारी त्रस्त हो चुके हैं। 950 संशोधन के बाद भी जीएसटी तर्क और व्यापार संगत नहीं बन सका। कैट की मांग है कि जीएसटी की विसंगतियों को दूर कर इसे सरल व सुगम बनाया जाए। कैट की प्रदेश ईकाई की इस संबंध में बुधवार को प्रदेश कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। बैठक में बंद को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाई गई। बंद के लिए कैट छत्तीसगढ़ चैप्टर ने छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज को चिठ्ठी लिखी है। बीते दिनों कैट ने राज्य जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात करते हुए जीएसटी विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था। देशभर में कैट की प्रादेशिक इकाइयों के जरिए बंद के लिए बड़ी रणनीति बनाई जा चुकी है।
पारवानी ने आगे कहा कि इसी कड़ी में देश भर के सभी राज्यों में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी कराधान प्रणाली में सुधार एवं सरलीकरण के सम्बंध में अपने-अपने राज्यों एवं जिलों में माननीय प्रधानमंत्री के नाम से ज्ञापन जिला कलेक्टर, जीएसटी आयुक्त, प्रधान सचिव, वित्तमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, विधायक एवं सांसद को सौप चुके हैं। ऐसी निराशाजनक पृष्ठभूमि में, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 26 फरवरी को भारत व्यापार बंद का आह्वान किया है, जिसे देश के व्यापारी एवं अन्य संगठनों का मजबूत एवं खुला समर्थन मिल रहा है।