बापूनगर में 2015 में 40.66 प्रतिशत मतदान हुआ था, इसबार 48.70 प्रतिशत
अहमदाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में पाटीदार प्रभावित नौ वार्डों में से आठ वार्डों के मतदान में इसबार औसतन 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। केवल बापुनगर वोर्ड में मतदान बढ़ा है।
पिछले 2015 के चुनाव में पाटीदार आंदोलन से प्रभावित इन नौ वार्डों में मतदान औसतन पाँच प्रतिशत बढ़ा। यही वजह है कि पिछले चुनाव में इन नौ वार्डों में से छ्ह में भाजपा पैनल आया, जबकि दो वार्डों में भाजपा और कांग्रेस ने दो-दो जीत हासिल की। इडिया कोलोनी एकमात्र वार्ड था जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस का पैनल आया था।
पाटीदार समुदाय के वर्चस्व वाले इलाकों में इसबार म्युनिसिपल चुनाव की सुबह से ही मतदाता मतदान से परहेज कर रहे थे। पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन का कारक निर्णायक था। सभी विश्लेषकों को आश्चर्यचकित करते हुए पाटीदार आंदोलन के कारण जिन क्षेत्रों में भाजपा का सफाया होने की भविष्यवाणी की गई थी, बड़ी संख्या में पाटीदार निकले। लेकिन उसकी तुलना में इसबार नरोडा, घाटलोडिया, रानिप, वस्त्राल, ठक्करबापानगर, निकोल में बड़ा अंतर है।
2015 के पिछले नगर निगम चुनाव के दौरान अहमदाबाद में पाटीदार अनामत आंदोलन का मुद्दा भी उठा था। यह सब पाटीदारों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में भारी मतदान के कारण भाजपा के खिलाफ हुआ माना जाता था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, बीजेपी पैनल इन नौ वार्डों में से छ्ह में आया जिसमें रानिप, घाटलोडिया, वस्त्राल, निकोल, ठक्करबापानगर और नरोडा शामिल है। बापूनगर और विराटनगर में बीजेपी-कांग्रेस ने दो-दो सीटें जीतीं और इंडिया कॉलोनी में कांग्रेस पैनल ने जीत हासिल की थी।
आम जनता के बीच भी सरकार के प्रति भारी नाराजगी है। एक ओर, पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं, वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी बढ़ी है। इसके अलावा पिछले एक दशक में भाजपा में आयातित कांग्रेसियों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने भी उन कार्यकर्ताओं में भारी निराशा पैदा की है जो वर्षों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
अहमदाबाद म्युनिसिपल चुनाव में शाम पाँच बजे तक जारी चुनावों में पाटीदारों के प्रभुत्व वाले नौ में से आठ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान औसतन चार प्रतिशत कम हो गया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बापूनगर, रानिप, निकोल और विटनगर वार्डों में मतदान के आंकड़ों ने पिछले एक घंटे में तस्वीर बदल गयी है।