नई दिल्ली, 20 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने 23 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
आज सुबह जब कोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो वकील इरफान अहमद ने कहा कि इस मामले पर एएसजी एसवी राजू दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें रखेंगे और वो दोपहर दो बजे बहस में शामिल हो पाएंगे। तब कोर्ट ने कहा कि ये हमें पहले बताना चाहिए था। तब कोर्ट ने एसवी राजू से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की और दोपहर दो बजे सुनवाई का आदेश दिया।
दोपहर दो बजे जब सुनवाई शुरू हुई तो इरफान अहमद ने कहा कि हमने न्यायिक हिरासत की मांग करते समय शर्त लगाई थी कि आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रही है और उसे दूसरे सह-आरोपितों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है। सह-आरोपित शांतनु को पूछताछ के लिए 22 फरवरी को समन जारी किया है। 22 फरवरी को हम पुलिस हिरासत की मांग कर सकते हैं। इसे कोर्ट ने स्वीकार किया था। अहमद ने कहा कि दिशा रवि की जमानत याचिका प्रि-मैच्योर है। तब कोर्ट ने पूछा कि इसमें बाधा क्या है। न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश का मतलब यह नहीं है कि जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकती है। तब अहमद ने कहा कि कुछ ऐसे साक्ष्य हैं, जिन्हें आरोपित से शेयर नहीं किया जा सकता है। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या सीलबंद लिफाफा है। तब अहमद ने कहा कि हां।
कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए एसवी राजू से पूछा कि हम तीन चीजों पर दलीलें सुनना चाहते हैं। अभियोजन की कहानी, आरोप और साक्ष्य की प्रकृति पर हम दलीलें सुनना चाहते हैं। राजू ने कहा कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है। इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं। इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है। इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहता था। उसमें दिशा रवि भी शामिल है।
राजू ने कहा कि जो टूलकिट बनाया गया, उसकी साजिश कनाडा में रची गई। ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं। राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया। उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपितों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपितों से बात की। जूम की बैठक के बाद एक आरोपित ने ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए मैसेज छोड़ा। कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या दूसरी एफआईआर भी है। तब राजू ने कहा कि अभी तक नहीं। तब कोर्ट ने पूछा कि हम कहें कि आरोपित का इतिहास खराब है। तब राजू ने कहा कि उनके ट्वीट देखकर।
सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी। उन्होंने कहा कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं। तब राजू ने कहा कि ये वे लोग हैं, जिनका इरादा सबको पता है। कोर्ट को उनके व्यवहार को देखना चाहिए, दिशा रवि हमेशा आरोपितों के संपर्क में रही हैं। तब कोर्ट ने राजू से पूछा कि टूलकिट का हिंसा से क्या संबंध है। उसका क्या सबूत है। तब राजू ने कहा कि साजिश में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग भूमिका होती है। टूलकिट से प्रेरणा लेकर कोई हिंसा कर सकता है। कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ और पूछा कि यह करना है या वह करना है, इसका संबंध क्या है। अगर हम अपने संज्ञान को संतुष्ट नहीं करेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे। तब राजू ने कहा कि टूलकिट को फिर से देखें। इसके हैशटैग और लिंक को पढ़ना होगा। ये एक साधारण मैसेज नहीं है। इस लिंक ने लोगों को भड़काया है। लोगों को दिल्ली में मार्च करने के लिए कहा गया। लोगों से कहा गया कि कश्मीर में कत्लेआम हो रहा है। ये राजद्रोह है।
कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं। तब राजू ने कहा कि परिस्थितियां देखिए। खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है। तब कोर्ट ने पूछा कि आरोपित के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है। आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है। तब राजू ने कहा कि पुलिस अभी जांच कर रही है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद दिल्ली पुलिस के डीसीपी से पूछा कि क्या वास्तविक साजिशकर्ता गिरफ्तार हुआ है, तब डीसीपी ने कहा कि हां। तब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आपने कोई लिंक स्थापित किया है। तब राजू ने कहा कि अभी जांच जारी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि या तो मैंने सवाल सही नहीं पूछा है या आप जवाब नहीं देना चाहते हैं। ये बताएं कि इस मामले में साजिश का लिंक साबित करने का क्या सबूत है।
सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है। इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं। अग्रवाल ने कहा कि अगर दिशा रवि ने इतनी बड़ी साजिश की होती तो वो अपने फोन नंबर से व्हाट्स ऐप ग्रुप क्यों बनाती। अग्रवाल ने कहा कि समस्या ये है कि दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से बात की और उन्हें किसानों के आंदोलन के बारे में ट्वीट के जरिये समझाया। ट्वीट में खालिस्तान मूवमेंट का कोई जिक्र नहीं है।
गौरतलब है कि 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले के सह-आरोपित शांतनु को 22 फरवरी को पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में निकिता और शांतनु पर भी आरोप हैं। दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपितों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है।
पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करें ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता एवं संप्रभुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए।
पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत एफआईआर दर्ज की है।