कहा- राजा रानी के पेट से नहीं, गरीबों और दलितों के वोट से सत्ता में आएंगे शासक
नई दिल्ली, 13 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में जैसे ही शासन-प्रशासन पटरी पर आता है, इस संघशासित प्रदेश को पूर्णराज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।
गृहमंत्री ने शनिवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2021 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे पर मोदी सरकार कायम है। जैसे ही परिस्थितियां अनुकूल होंगी पूर्णराज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस संवेदनशील राज्य के लोगों के साथ पूरी सहानुभूति और संवेदना रखती है। हमारी सरकार कानूनों, नियमों और प्रशासनिक औपचारिकता की बजाय जम्मू कश्मीर के लोगों के प्रति सद्भावना के साथ व्यवहार करने में विश्वास करती है। शाह ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद वहां हुए विकास कार्यों और जमीनी हालात में आए सकारात्मक बदलाव का विस्तार से उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ था, वह मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पिछले डेढ़ साल में कर के दिखाया है।
शाह ने विपक्षी दलों से अपील की कि वे इस सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्र को राजनीति का हिस्सा न बनाएं। राजनीति के लिए बहुत से मुद्दे हैं और हम राजनीति के अखाड़े में विपक्ष से दो-द हाथ करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए देश की एकता-अखंडता के साथ जुड़ा है।
गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचाया गया है तथा सत्ता पर तीन परिवारों के एकाधिकार को समाप्त किया गया है। शाह का संकेत शेख अब्दुल्ला-फारुख अब्दुल्ला, मुफ्ती मोहम्मद सईद-महबूबा मुफ्ती और गांधी-नेहरू परिवार की ओर था। उन्होंने संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत में शासक राजा रानियों के पेट से नहीं बल्कि गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के वोट से सत्ता में आएंगे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद राज्य में किसी भी वर्ग के साथ भेदभाव हो, इसकी संभावना को समाप्त किया गया है।
राज्य में आतंकवाद और अशांति के लंबे कालखंड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने बहुत दुख-दर्द सहे हैं। आज उनके घावों को कुरेदने का नहीं बल्कि उन पर मलहम लगाने का समय है। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण दलितों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्ग के लोगों को राज्य में आरक्षण की सुविधा नहीं थी। अब उनका यह अधिकार बहाल किया गया है। वाल्मीकि समाज के लोगों और सफाईकर्मियों के बच्चे भी अब राज्य में नौकरियां हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में किसी के साथ भी अन्याय हो, ऐसी आशंका को ही समाप्त कर दिया गया है।
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और अधिवास अधिकार दिए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण वे अपने दी देश में विस्थापित हो गए थे। मोदी सरकार 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को, जिनके पास राशन कार्ड है, उन्हें 13,000 रुपये प्रति महीने देती है । निशुल्क राशन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ये हमारे समय में विस्थापित नहीं हुए। कांग्रेस इन्हें सुरक्षा नहीं दे पाई, इसलिए ये विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि 3000 नौकरियां दे दी गईं हैं। 6,000 लोगों को कश्मीर घाटी में 2022 तक घर देकर हम बसा देंगे।
राज्य में उद्योग धंधों के लिए अनुकूल हालात बनाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 के कारण वहां उद्यमियों के लिए जमीन खरीदना संभव नही था। अब उद्योग धंधों के लिए जमीन हासिल की जा सकती है और वहां बड़ी मात्रा में निवेश संभव है। राज्य में दूरसंचार सुविधाओं पर विपक्ष के आरोपों पर शाह ने कहा कि विपक्षी सदस्य भूल जाते हैं कि पहले क्या हालात थे। राज्य में महीनों तक कर्फ्यू रहता था।
राज्य में लोकतंत्र को निचले स्तर तक सक्रिय करने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण मतदान के जरिए हजारों सरपंच और जनप्रतिनिधि चुने गए। लोगों ने रिकॉर्ड मतदान किया और हिंसा की कोई घटना नहीं हुई।
शाह ने राज्य में रेल और सड़क परियोजनाओं, स्वास्थ सेवाओं के विस्तार के लिए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना सहित विभिन्न विकास कार्यों का विस्तार से ब्यौरा दिया। इसके बाद विधेयक को सदन से पारित कर दिया गया। राज्यसभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।