नई दिल्ली, 12 फरवरी (हि.स.)। राज्यसभा में शुक्रवार को बजट पर चर्चा के दौरान किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस ने एक बार फिर कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की बात कही। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में अपने वक्तव्य में किसानों के आंदोलन को पवित्र बताते हैं लेकिन उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता। उन्हेंने सरकार से यह भी सवाल किया कि भारत में ‘एक देश एक मंडी’ क्यों नहीं है?
बजट पर चर्चा के दौरान दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों को बंद किए जाने संबंधी मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया कि सरकार ‘एक देश एक मंडी’ की प्रक्रिया को क्यों नहीं लागू करती है। उन्होंने कहा कि देश की 50 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है। ऐसे में अगर सरकार खेती और किसानों को ध्यान में रखकर नीति निर्धारण करेगी तो देश को भी फायदा होगा। हालांकि इस सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार निजी मंडी ही लाना चाहती है तो यह प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चहिए कि फसल को एमएसपी से ज्यादा मूल्य पर खरीदा जाएगा।
प्रधानमंत्री पर निशाने साधते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मोदी किसानों के आंदोलन को पवित्र बताते हैं और विपक्ष पर उसे अपवित्र करने का आरोप भी लगाते हैं। इसके बाद भी उन पवित्र लोगों की बात नहीं सुनी जाती। दिल्ली बॉर्डर पर पवित्र लोग लम्बे समय से कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान कइयों ने अपनी जान भी गंवाई, आखिर तब सरकार उनकी परवाह क्यों नहीं करती। उन्होंने कहा कि सिर्फ विपक्ष के सवालों के जवाब में ही सरकार को किसान हित की बातें याद आती हैं।
राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से शक्ति सिंह गोहिल ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने कहा था कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून नहीं बनेगा तो किसान को फायदा नहीं होगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लगता है कि अब प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अपनी ही उस बात को भूल चुके हैं।